लोकसभा चुनावों में स्पष्ट बहुमत हासिल करने से चूकी भाजपा में तो इस समय आत्ममंथन का दौर चल ही रहा है साथ ही संघ परिवार भी इस बात पर चर्चा कर रहा है कि पार्टी से कहां-कहां गलतियां हो गयीं। गलतियों को संघ की ओर से इंगित भी किया जा रहा है जिसे कुछ लोग भाजपा और आरएसएस के बीच मतभेद की संज्ञा दे रहे हैं लेकिन संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी को निशाना बनाने के उद्देश्य से कुछ नहीं कह रहा है और भाजपा के साथ मतभेद की खबरें गलत हैं। हम आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ अपने मतभेद की खबरों को खारिज करते हुए इसे भ्रम पैदा करने की कोशिश करार दिया है। हम आपको यह भी बता दें कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत इस समय गोरखपुर के दौरे पर हैं जहां आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनसे मिलेंगे। उल्लेखनीय है कि भाजपा को उत्तर प्रदेश में ही सर्वाधिक चुनावी नुकसान उठाना पड़ा है इसलिए इस मुलाकात पर सभी की नजरें टिक गयी हैं।
जहां तक इस सप्ताह संघ के नेताओं की टिप्पणियों से खड़े हुए विवाद की बात है तो आपको बता दें कि इसके बारे में संघ ने कहा है कि लोकसभा चुनाव परिणामों को लेकर सरसंघचालक मोहन भागवत की आलोचनात्मक टिप्पणियां सत्तारुढ़ पार्टी को निशाना बनाकर नहीं की गई थीं। आरएसएस सूत्रों ने कहा, "आरएसएस और भाजपा के बीच कोई दरार नहीं है।" हम आपको बता दें कि संघ का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि विपक्षी नेताओं समेत लोगों के एक वर्ग का दावा है कि भागवत की वह टिप्पणी लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं करने के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को एक संदेश है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'सच्चा सेवक कभी अहंकारी नहीं होता'।
बताया जा रहा है कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद भागवत ने जो भाषण दिए थे और इस बार का जो भाषण है, इनमें बहुत अधिक अंतर नहीं है। किसी भी संबोधन में राष्ट्रीय चुनावों जैसी महत्वपूर्ण घटना का संदर्भ होना लाजिमी है। संघ सूत्रों का कहना है कि भागवत के भाषण का गलत मतलब निकाला गया और भ्रम पैदा करने के लिए इसे संदर्भ से बाहर ले जाया गया। संघ सूत्रों का कहना है कि भागवत की 'अहंकार' वाली टिप्पणी कभी भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या भाजपा के किसी नेता के खिलाफ नहीं थी। हम आपको बता दें कि अपने भाषण में भागवत ने सोमवार को मणिपुर में एक साल बाद भी शांति बहाल ना होने पर चिंता जताई थी। इसके साथ ही उन्होंने चुनाव के दौरान आम विमर्श की आलोचना की थी और चुनाव खत्म होने और परिणाम आने के बाद क्या और कैसे होगा, इस पर अनावश्यक बातचीत के बजाय आगे बढ़ने का आह्वान किया था। इसके बाद विपक्षी नेताओं ने भाजपा और मोदी पर निशाना साधने के लिए उनकी टिप्पणियों को हथियार बना लिया था। अब आरएसएस सूत्रों का कहना है कि विपक्षी नेताओं के इस तरह के दावे कुछ और नहीं बल्कि भ्रम फैलाने की राजनीति है।
हम आपको यह भी बता दें कि संघ सूत्रों ने भाजपा के वैचारिक संरक्षक माने जाने वाले आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार के उस बयान से भी पल्ला झाड़ लिया है जिसमें उन्होंने भाजपा पर उसके चुनावी प्रदर्शन को लेकर निशाना साधते कहा था कि 'भगवान राम ने 241 पर उन लोगों को रोका जो अहंकारी हो गए थे'। इंद्रेश कुमार ने जयपुर में एक कार्यक्रम में कहा था कि जिस पार्टी ने भगवान राम की भक्ति की लेकिन अहंकारी हो गई उसे 241 पर रोक दिया गया... हालांकि वह सबसे बड़ी पार्टी बनी। हालांकि अपने बयान को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच इंद्रेश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि देश चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन और मोदी के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से वह खुश हैं। उन्होंने कहा, ''इस समय, ताजा खबर यह है कि जो भगवान राम के खिलाफ थे वे सत्ता से बाहर हैं और जो भगवान राम के भक्त थे वे सत्ता में हैं।" उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व में देश प्रगति करेगा।
भागवत के भाषण पर चल रही बहस के बारे में पूछे जाने पर इंद्रेश कुमार ने कहा, ''बेहतर होगा कि आप संघ के अधिकृत पदाधिकारियों से इस बारे में पूछें।'' दूसरी ओर, इंद्रेश कुमार के गुरुवार के बयान के बारे में पूछे जाने पर आरएसएस के एक पदाधिकारी ने कहा कि यह उनकी निजी राय है और यह संगठन के दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित नहीं करता। आरएसएस के एक पदाधिकारी ने कहा कि यह इंद्रेश कुमार की निजी राय है और यह संगठन के विचार को प्रतिबिंबित नहीं करता। सूत्रों ने इस बात को भी खारिज कर दिया कि आरएसएस इस बार भाजपा के समर्थन में उस तरह से चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं था, जिस तरह से वह पहले रहा है। उन्होंने कहा, "आरएसएस प्रचार नहीं करता लेकिन लोगों में जागरूकता पैदा करता है और उसने चुनाव के दौरान अपना काम किया। पूरे देश में हमने लाखों सभाएं की हैं। अकेले दिल्ली में हमने एक लाख से अधिक छोटे समूहों की बैठकें कीं।"
केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री जेपी नड्डा की जगह नए भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति की संभावना के बारे में पूछे जाने पर आरएसएस सूत्रों ने कहा कि उनका संगठन हमेशा इस तरह के महत्वपूर्ण निर्णय के लिए परामर्श प्रक्रिया का हिस्सा रहा है। एक सूत्र ने कहा, "इस बार भी स्थिति अलग नहीं होगी।" उन्होंने कहा कि भाजपा में आरएसएस पृष्ठभूमि वाले नेताओं का इतिहास रहा है। नड्डा की उस कथित टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर जिसमें कहा गया था कि भाजपा को आरएसएस की उस तरह जरूरत नहीं है जैसी उसे पहले जरूरत थी क्योंकि उसका अपना संगठन मजबूत हो गया है, उन्होंने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवकों ने इस पर चर्चा की और फिर अपने काम में जुट गए।
हम आपको यह भी बता दें कि आरएसएस और भाजपा सहित उसके सहयोगी संगठनों की तीन दिवसीय वार्षिक समन्वय बैठक केरल के पलक्कड़ जिले में 31 अगस्त से शुरू होगी। बैठक में भाजपा अध्यक्ष समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है।