पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कैराना संसदीय क्षेत्र प्रदेश की हॉट सीटों में शुमार है। समाजवादी पार्टी की सरकार के कार्यकाल के दौरान जिस तरह यहां हिंदुओं को पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा था उसके चलते अखिलेश यादव के प्रति लोगों की नाराजगी यहां अब भी देखने को मिलती है। प्रभासाक्षी की चुनाव यात्रा जब कैराना पहुँची तो पाया कि यहां चुनाव भले त्रिकोणीय नजर आ रहा है लेकिन कई क्षेत्रों में ध्रुवीकरण के हालात देखने को मिल रहे हैं। भाजपा ने यहां से पिछले लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज करने वाले प्रदीप चौधरी को एक बार फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन की प्रत्याशी के रूप में इकरा हसन मैदान में हैं। वहीं बहुजन समाज पार्टी ने श्रीपाल राणा को चुनाव मैदान में उतारा है।
प्रभासाक्षी की चुनाव यात्रा यहां के पांचों विधानसभा क्षेत्रों- शामली, कैराना, थानाभवन, नकुड़ और गंगोह में गयी। हमने जब खासतौर पर महिलाओं से बात की तो एक बात साफ तौर पर उभर कर आई कि चाहे किसी भी धर्म या जाति की महिला रही हो, सबने माना कि सुरक्षा के हालात बहुत बेहतर हैं और अब रात में भी कहीं आवाजाही में कोई दिक्कत नहीं है। मुस्लिम महिलाओं ने भी अपने कान दिखाते हुए कहा कि पहले लोग हमारे कान से बाली खींच कर ले जाते थे लेकिन मोदी-योगी सरकार के दौरान हर समय पुलिस तैनात रहती है तो किसी की हिम्मत नहीं पड़ती कि वह छीनाझपटी या चोरी करे। कुछ महिलाओं ने कहा कि हम पहले तो शाम को भी बाहर नहीं निकल पाते थे और घर में शौचालय भी नहीं थे जिससे बड़ी दिक्कत होती थी लेकिन प्रधानमंत्री ने हमारे घर में इज्जतघर बनवा कर हमें बड़ी राहत प्रदान की है। महिलाओं का यह भी कहना था कि चाहे अन्न हो या अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ, सब कुछ पूरी पारदर्शिता के साथ मिल रहा है। महिलाओं का यह भी कहना था कि अब हमारी लड़कियों की शिक्षा का भी बेहतर प्रबंध हो गया है जिससे हम खुश हैं।
वहीं जब हमने पुरुषों से बात की तो लोगों ने कहा कि पहले खेतों में और घरों में चोरी आम बात थी लेकिन अब दरवाजा खोल कर सोते हैं और किसी बात की फिक्र नहीं है। लोगों ने यह भी कहा कि पहले तो हालात यह थे कि शाम को थाना भी बंद कर पुलिस वाले शहर में चले जाते थे क्योंकि उन्हें भी अपनी जान का डर रहता था लेकिन योगी सरकार में सबकुछ बल्ले-बल्ले है। लोगों ने बताया कि कैसे भैंसा बुग्गी लेकर चलना भी शाम को खतरे से खाली नहीं होता था। अगर फसल बेचकर हरियाणा से आ रहे हों तो पैसा छिन जाता था। बैंक से पैसा निकालने गये हैं तब भी पैसा रास्ते में छिन जाने का डर रहता था। इसलिए एक साथ कई लोग कोई बड़ा काम करने जाया करते थे।
वहीं जब हमने कुछ गांवों के प्रधानों से बात की तो उन्होंने कहा कि अब प्रधान की ज्यादा भूमिका नहीं रह गयी है क्योंकि हर लाभार्थी के खाते में सीधे हर योजना की रकम पहुँच जाती है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास यही रहता है कि हम ज्यादा से ज्यादा योजनाओं को अपने गांवों में लागू करवा सकें। हमने जब कुछ युवाओं से बात की तो उनका कहना था कि बड़े शिक्षण संस्थानों के लिए अभी हमें बाहर जाना पड़ता है लेकिन स्थानीय स्तर पर भी रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। उनका कहना था कि जिस तरह सड़कों और पुलों का जाल बिछा है उसके चलते कहीं भी आना जाना बड़ा सरल हो गया है।
हमने कुछ मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों का भी दौरा किया। यहां इकरा हसन के प्रति समर्थन तो दिखा लेकिन विकास के नाम पर लोग मोदी सरकार के साथ खड़े दिखे। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों के लोगों का भी कहना था कि बिना किसी भेदभाव के हमारे क्षेत्रों में भी जिस तरह विकास की परियोजनाएं मिली हैं और सबको योजना का लाभ मिल रहा है वह काबिले तारीफ है। वहीं हमें कुछ क्षेत्र ऐसे भी दिखे जहां 2013 के दंगों की यादें ताजा थीं। ऐसे इलाकों में हमें लगा कि इस बार के चुनाव में जोरदार ध्रुवीकरण होने के आसार हैं।