विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने जम्मू में नवरेह मनाया, अगले साल कश्मीर में मनाने का संकल्प लिया
जम्मू में विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने मंगलवार को परंपरागत रंग-बिरंगे फेरन पहनकर और थाल लेकर कश्मीरी हिंदू पंचांग के अनुसार नव वर्ष का पहला दिन नवरेह मनाया। उन्होंने अगले साल कश्मीर घाटी में यह उत्सव मनाने के लिए समन्वित प्रयास करने का संकल्प जताया। आतंकवाद की वजह से 1990 में घाटी छोड़ने को मजबूर हुए कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर में अपने घरों से कई किलोमीटर दूर निर्वासन में 35वां नवरेह मनाया। पूर्व विधायक अजय भारती ने इस मौके पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम भारत के लोगों, खासतौर पर नौ समुदायों को आज नव वर्ष की बधाई देते हैं। हम कश्मीरी पंडितों को बधाई देते हैं जिनके सप्तर्षि हिंदू कलैंडर के 5100वें वर्ष की आज शुरुआत हो रही है।

जम्मू में विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने मंगलवार को परंपरागत रंग-बिरंगे फेरन पहनकर और थाल लेकर कश्मीरी हिंदू पंचांग के अनुसार नव वर्ष का पहला दिन नवरेह मनाया। उन्होंने अगले साल कश्मीर घाटी में यह उत्सव मनाने के लिए समन्वित प्रयास करने का संकल्प जताया।
आतंकवाद की वजह से 1990 में घाटी छोड़ने को मजबूर हुए कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर में अपने घरों से कई किलोमीटर दूर निर्वासन में 35वां नवरेह मनाया। पूर्व विधायक अजय भारती ने इस मौके पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम भारत के लोगों, खासतौर पर नौ समुदायों को आज नव वर्ष की बधाई देते हैं। हम कश्मीरी पंडितों को बधाई देते हैं जिनके सप्तर्षि हिंदू कलैंडर के 5100वें वर्ष की आज शुरुआत हो रही है।
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