फूड डिलीवरी ऐप Zomato की Green-Red Service पर बहस जारी, अब डिलिवरी पार्टनर्स ने बताई अपनी परेशानियां

फूड डिलीवरी ऐप जोमैटो कस्टमर्स की जरुरतों को पूरा करने की कोशिश में जुटा हुआ था, तभी उसने प्योर वेज फ्लीट और प्योर वेजमोड जैसी सर्विस को लॉन्च करने का फैसला किया। वहीं सेवाओं के बारे में कई सवालों और गिग वर्कर्स एसोसिएशन द्वारा डिलीवरी भागीदारों पर इसके प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी। इसके बाद कंपनी ने अपनी ग्रीन यूनिफॉर्म डिलीवरी सर्विस को वापस से लिया है। जोमैटो के इस फिचर को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। इसे लोगों से सकारात्मक रिस्पॉन्स नहीं मिला। डिलिवरी कार्यकारी पंकज ने कहा कि डिलिवरी ड्राइवरों को उनके द्वारा डिलीवर किए गए भोजन के प्रकार के आधार पर अलग करना - शाकाहारी खाना हरा रंग पहने ड्राइवर और नियमित डिलिवरी के लिए लाल यूनिफॉर्म पहने डिलिवरी पार्टनर्स की सेवा ली जाएगी। इस तरह की समस्याओं पर चर्चा करते हुए कई डिलीवरी साझेदारों ने शुद्ध शाकाहारी सेवाओं पर ज़ोमैटो से अधिक स्पष्टता की मांग की। गिग वर्कर्स एसोसिएशन ने कहा कि नीति आयोग की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में करीब दो लाख गिग वर्कर्स हैं।  गिग वर्कर्स के अधिकारों के लिए एक विशेषज्ञ और कार्यकर्ता धर्

फूड डिलीवरी ऐप जोमैटो कस्टमर्स की जरुरतों को पूरा करने की कोशिश में जुटा हुआ था, तभी उसने प्योर वेज फ्लीट और प्योर वेजमोड जैसी सर्विस को लॉन्च करने का फैसला किया। वहीं सेवाओं के बारे में कई सवालों और गिग वर्कर्स एसोसिएशन द्वारा डिलीवरी भागीदारों पर इसके प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी। इसके बाद कंपनी ने अपनी ग्रीन यूनिफॉर्म डिलीवरी सर्विस को वापस से लिया है।
 
जोमैटो के इस फिचर को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। इसे लोगों से सकारात्मक रिस्पॉन्स नहीं मिला। डिलिवरी कार्यकारी पंकज ने कहा कि डिलिवरी ड्राइवरों को उनके द्वारा डिलीवर किए गए भोजन के प्रकार के आधार पर अलग करना - शाकाहारी खाना हरा रंग पहने ड्राइवर और नियमित डिलिवरी के लिए लाल यूनिफॉर्म पहने डिलिवरी पार्टनर्स की सेवा ली जाएगी। इस तरह की समस्याओं पर चर्चा करते हुए कई डिलीवरी साझेदारों ने शुद्ध शाकाहारी सेवाओं पर ज़ोमैटो से अधिक स्पष्टता की मांग की। गिग वर्कर्स एसोसिएशन ने कहा कि नीति आयोग की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में करीब दो लाख गिग वर्कर्स हैं।
 
गिग वर्कर्स के अधिकारों के लिए एक विशेषज्ञ और कार्यकर्ता धर्मेंद्र कुमार ने बताया, "श्रमिकों को उनकी आय और अलगाव के बारे में वास्तविक चिंताएं होती हैं। डिलीवरी की समर्पित लाइन डिलीवरी करने वाले व्यक्ति की आय को कम कर सकती है। दूसरी चिंता यह है कि डिलीवरी करने वाले व्यक्तियों की सामाजिक और धार्मिक पृष्ठभूमि के कारण उनके बेड़े की पहचान की जा सकती है और उन्हें जोखिम में डाला जा सकता है।
 
एक अन्य कार्यकर्ता नितेश कुमार दास ने कहा वेजिटेरियन डिलीवरी के लिए समर्पित एक बेड़ा श्रमिकों को विभाजित कर सकता है और उनकी आय कम कर सकता है। इससे केवल लोगों को क्या खाना पसंद है, इसके आधार पर अनुचित व्यवहार होने की संभावना बढ़ सकती है। हम चाहते हैं कि हमारे कर्मचारियों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाए और उनके द्वारा किए गए प्रदर्शन के कारण उनके साथ गलत तरीके से न्याय न किया जाए। इसलिए हम जोमैटो की योजना पर दोबारा विचार करने के लिए कहा गया। डिलीवरी के जरिए आजीविका कमाने वाले कई कर्मचारियों अपने असाइनमेंट को लेकर काफी परेशान है, क्योंकि इससे उनकी आय में कमी आने की संभावना है। हर रोज एक डिलीवरी पार्टनर को इन्सेंटिव हासिल करने के लिए निर्धारित संख्या में पैकेज वितरित करने की आवश्यकता होती है। वर्तमान पॉलिसी के अनुसार कोई भी डिलिवरी पार्टनर वेज या नॉन वेज भोजन को वितरित कर सकता है। एक डिलीवरी पार्टनर जितना संभव हो उतने पैकेज वितरित कर सकता है और इंसेंटिव अर्जित कर सकता है। मगर वेज डिलिवरी ऑप्शन होने पर ये इंसेंटिव पाने की संख्या में कमी आ सकती है।

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