इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले पर भारतीय स्टेट बैंक की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 11 मार्च को सुनवाई की जानी है। भारतीय स्टेट बैंक ने चुनावी बॉन्ड के संबंध में जानकारी देने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट से समय देने की गुहार लगाते हुए याचिका दी है। कोर्ट ने एसबीआई को जानकारी देने के लिए छह मार्च तक का समय दिया था मगर एसबीआई ने 30 जून तक के लिए समय मांगा है।
बता दें कि चुनावी बॉन्ड की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से याचिका दायर की गई है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने अवमानना याचिका दायर की है, जिसके तहत एसबीआई को छह मार्च तक ही जानकारी मुहैया करनी थी मगर ये कार्य अब तक नहीं हो सका है। वहीं सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए एसबीआई को इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित सभी जानकारी देने की आदेश दिए थे।
बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में याचिका करता ने ही जल्द सुनवाई करने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की थी। यहां तक कि प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड का मुद्दा भी उठाया था। उन्होंने ये भी कहा था कि ये साफतौर पर अवमानना का मामला बनता है।
चुनावी बांड क्या हैं?
सरकार ने 2018 में चुनावी बांड लागू किया। जनवरी 2018 में वित्त मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि सरकार ने राजनीतिक फंडिंग की प्रणाली को साफ करने के लिए योजना को अधिसूचित किया था। इन बांडों के पीछे की अवधारणा राजनीति में काले धन के प्रभाव को कम करना और व्यक्तियों और निगमों को राजनीतिक दलों को योगदान देने के लिए एक कानूनी और पारदर्शी तंत्र प्रदान करना था। वित्त मंत्रालय ने 2018 में कहा था कि चुनावी बांड एक वाहक साधन होगा। अनिवार्य रूप से, चुनावी बांड भारतीय नागरिकों या भारत में निगमित निकाय को बांड खरीदने की अनुमति देते हैं, जिससे राजनीतिक दलों को गुमनाम दान दिया जा सकता है।