अबकी बार 'अटल' सरकार, PoK लाकर 2026 में फिर से लोकसभा चुनाव में जाएगी बीजेपी?
नरेंद्र मोदी पहले ऐसे नेता नहीं हैं जो तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेई भी तीन बार प्रधानमंत्री बने थे। मोदी 2014 में पहली बार बने और पूरा कार्यकाल कंप्लीट किया। 2019 में दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और अपना कार्यकाल पूरा किया। अब 2024 में वो 9 जून को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले हैं। अटल जी 1996 में पहली बार 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने। दूसरी बार 1998 में 13 महीने के लिए और तीसरी बार 1999 में पूरे पांच साल के लिए प्रधानमंत्री बने। अटल जी पहले और दूसरी पारी में कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे। तीसरी टाइम में ऐसा भाग्य मिला था जबकि मोदी ने पहला और दूसरा कार्यकाल पूरा किया है और तीसरा सौभाग्य सवालों में है।इसे भी पढ़ें: NDA को तोड़ने का सपना देखने वालों को लगेगा बड़ा झटका, रातोंरात आंकड़ा 293 से 303 हुआ, कैसे बदल गया पूरा गेम?1999 मैं बीजेपी के पास बहुमत से कम 192 सीटें थी। फिर भी अटल जी ने 19 दलों को साथ लेकर 5 साल पूरे किए थे। जयललिता, ममता, मायावती, शिवसेना, अकाली और इन्हीं नीतीश-नायडू सबको साथ रखा था। आज बीजेपी के पास 240 सीटें
नरेंद्र मोदी पहले ऐसे नेता नहीं हैं जो तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेई भी तीन बार प्रधानमंत्री बने थे। मोदी 2014 में पहली बार बने और पूरा कार्यकाल कंप्लीट किया। 2019 में दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और अपना कार्यकाल पूरा किया। अब 2024 में वो 9 जून को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले हैं। अटल जी 1996 में पहली बार 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने। दूसरी बार 1998 में 13 महीने के लिए और तीसरी बार 1999 में पूरे पांच साल के लिए प्रधानमंत्री बने। अटल जी पहले और दूसरी पारी में कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे। तीसरी टाइम में ऐसा भाग्य मिला था जबकि मोदी ने पहला और दूसरा कार्यकाल पूरा किया है और तीसरा सौभाग्य सवालों में है।
1999 मैं बीजेपी के पास बहुमत से कम 192 सीटें थी। फिर भी अटल जी ने 19 दलों को साथ लेकर 5 साल पूरे किए थे। जयललिता, ममता, मायावती, शिवसेना, अकाली और इन्हीं नीतीश-नायडू सबको साथ रखा था। आज बीजेपी के पास 240 सीटें हैं। लेकिन मोदी के पास गठबंधन की गाड़ी खींचने का अनुभव नहीं है। मोदी ने अब तक बहुमत वाली सरकारें चलाई है। देश ने उनको सहयोगियों को मनाकर रखने अटल कला नहीं देख पाए हैं। मोदी सरकार के पुराने सहयोगी लगातार उनसे टूटते और जुड़ते रहे हैं। चाहे वह चंद्रबाबू नायडू हो नीतीश कुमार हो या फिर 10 को पुराने साथी शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना। वाजपेई सरकार को ममता बनर्जी और मायावती जैसे नए सहयोगियों का साथ में मिला था जो 2014 के बाद से ही बीजेपी सरकार के प्रति लगातार तल्ख रुख अख्तियार करते नजर आए हैं।
कई राजनीतिक जानकार और विश्लेषक ऐसा मानते हैं कि एनडीए की ये तीसरी बार की सरकार अपने पांच साल के कार्यकाल को पूरा नहीं करके मध्याविधि चुनाव में जा सकती है। वहीं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के एक बयान से इस दावे को और हवा मिल रही है। दरअसल, भूपेश बघेल ने एक्स पर वीडियो भी शेयर किया है। उन्होंने इसके साथ ही लिखा कि कार्यकर्ता साथी तैयार रहें! 6 महीने- 1 साल के भीतर मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं। वैसे आपको बता दें कि 2026 में प्रस्तावित परिसीमन और वन नेशन वन इलेक्शन की अवधारणा भी सरकार के स्थायित्व पर सवाल खड़े करती है। अगर 2026 में लोकसभा की सीटों की संख्या 543 से बढ़ाकर 753 की जाती है तो इसके लिए नए चुनाव कराए जा सकते हैं। इसके साथ ही बिहार और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों को भी एक साथ कराने की संभावनाएं हैं, जो कि 2026 में वन नेशन वन इलेक्शन के तहत हो सकते हैं।
इसके अलावा एक दावा ये भी किया जा रहा है कि पाकिस्तान के द्वारा कब्जाए गए कश्मीर के इलाके को लेकर भारत के नेताओं की तरफ से लगातार बयान सामने आते रहे हैं। पीओके का मुद्दा भारत का संवेदनशील मुद्दा है। साल 2019 में पुलवामा हमले और पाकिस्तान में घुसकर किए गए स्ट्राइक की वजह से बीजेपी को बहुत फायदा मिला है। मोदी सरकार की छवि देश पर आंख उठाकर देखने वालों को घर में घुसकर मारने वाले नेता के रूप में बनी थी। वहीं पीओके का मुद्दा बीजेपी को एक बार फिर से सत्ता के स्वर्णिम काल में ले जा सकता है।