अदालत ने तीन साल की बच्ची के गंभीर यौन उत्पीड़न के मामले में व्यक्ति को दोषी ठहराया
दिल्ली की एक अदालत ने 2022 में तीन साल की बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न के अति गंभीर मामले में एक व्यक्ति को दोषी ठहराया है और कहा है कि शर्म, अपराध बोध और पारिवारिक सम्मान के कारण बच्चों के यौन शोषण की रिपोर्ट कभी-कभी ही दर्ज करायी जाती है। सजा पर दलीलें बाद में सुनी जाएंगी। रोहिणी जिला न्यायालय के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर आरोपी के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिस पर बलात्कार के दंडात्मक प्रावधानों और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा 6 (अति गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत आरोप लगाया गया था। पीड़िता के बयान के अनुसार आरोपी ने 17 जून, 2022 को उसके गुप्तांगों को छूआ था। अदालत ने कहा कि केवल यौन इरादे से बच्चे के निजी अंगों को छूना पॉक्सो अधिनियम की धारा 10 (गंभीर यौन उत्पीड़न के लिए सजा) के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत पीड़िता की गरिमा को ठेस पहुंचाने का अपराध होगा।

दिल्ली की एक अदालत ने 2022 में तीन साल की बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न के अति गंभीर मामले में एक व्यक्ति को दोषी ठहराया है और कहा है कि शर्म, अपराध बोध और पारिवारिक सम्मान के कारण बच्चों के यौन शोषण की रिपोर्ट कभी-कभी ही दर्ज करायी जाती है। सजा पर दलीलें बाद में सुनी जाएंगी।
रोहिणी जिला न्यायालय के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर आरोपी के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिस पर बलात्कार के दंडात्मक प्रावधानों और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा 6 (अति गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत आरोप लगाया गया था।
पीड़िता के बयान के अनुसार आरोपी ने 17 जून, 2022 को उसके गुप्तांगों को छूआ था। अदालत ने कहा कि केवल यौन इरादे से बच्चे के निजी अंगों को छूना पॉक्सो अधिनियम की धारा 10 (गंभीर यौन उत्पीड़न के लिए सजा) के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत पीड़िता की गरिमा को ठेस पहुंचाने का अपराध होगा।
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