प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम शौर्यपथ में ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी से हमने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के गाजा पीस प्लान पर सवाल पूछा। साथ ही साथ हमने जानना चाहा कि क्या इसराइल और हमास इसे स्वीकार करेंगे? ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी से हमने पूछा कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस और इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने इजरायल और हमास दोनों के नेताओं पर अरेस्ट वारंट से लेकर के लड़ाई रोकने तक की हिदायत दी है। क्या इससे कोई अंतर पड़ने वाला है? हमने पूछा कि अमेरिका और पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को यह अधिकार दे दिया है कि वह उनके द्वारा दिए गए हथियार रूस के अंदर इस्तेमाल कर सकता है। इसको कैसे देखते हैं आप? साथ ही साथ हमने अफगानिस्तान-रूस से संबंधित भी सवाल किया।
1. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने गाजा पीस प्लान अनाउंस किया है। क्या इजराइल और हमास इसे स्वीकार करेंगे और इससे शांति स्थापित हो पाएगी?
- इस सवाल के जवाब में ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि शांति होनी चाहिए। यह युद्ध नहीं बल्कि अब मानवीय त्रासदी बन गया है। अब तक इजराइल ने इसमें कुछ हासिल नहीं किया। उन्होंने कहा कि युद्ध के बीच में एक बार विराम जरूर हुआ। लेकिन शांति स्थापित नहीं हो पाई। इजराइल पर पूरी दुनिया की नजर है। उसकी आलोचना भी हो रही है। राफा तक इजराइल पहुंच गया जबकि वह शुरू से कह रहा था कि हम नहीं जाएंगे। पीस प्लान को लेकर ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि यह इजराइल का ही प्लान है। अमेरिकी राष्ट्रपति दावा कर रहे हैं कि वह दोनों से बात करेंगे। इसे यूएनएससी में भी दे दिया गया है। हमास को भी इसके बारे में बताया गया है। इस प्लान में तीन फेज शामिल किए गए हैं। पहले में 6 सप्ताह का युद्ध विराम, इसराइल को पीछे हटने के लिए कहा जाएगा। साथ ही साथ जो बंधक है उनको भी रिलीज करने की बात होगी। उन्होंने कहा कि दूसरे चरण में बातचीत की कोशिश होगी। परमानेंट सीजफायर कैसे हो, इस पर अमल किया जाएगा। फेस तीन में गाजा को कैसे स्थापित किया जाए, चीजों को कैसे फिर से ट्रैक पर लाया जाए। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि इस पीस प्लान को अमल में लाना इतना आसान नहीं होगा। इसराइल के प्रधानमंत्री के समक्ष में कई चुनौतियां हैं। दोनों को राजी करना भी बड़ी चुनौती है।
2. इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस और इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने इजरायल और हमास दोनों के नेताओं पर अरेस्ट वारंट से लेकर के लड़ाई रोकने तक की हिदायत दी है। क्या इससे कोई अंतर पड़ने वाला है?
- ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि मानवीय त्रासदी और नरसंहार को लेकर इसराइल और हमास के नेताओं को वारंट जारी किया है। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस संयुक्त राष्ट्र का बॉडी है। मानवता के आधार पर इसको लेकर बातचीत हो रही है। राफा और ग़ाज़ा में आक्रमण बंद होना चाहिए। इस बात का दावा किया जा रहा है कोर्ट भी लगातार यही कह रहा है। लेकिन इसराइल फिलहाल इसके लिए तैयार नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस वारंट और नोटिस से इसराइल को बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है। पूरे मामले को पहले इसराइल के कोर्ट में एक्शन होना चाहिए था। लेकिन नहीं हुआ। अगर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में यह मामला आता है तो अमेरिका वीटो लगा सकता है। इसराइल पूरे मामले से लगातार इनकार करता रहा है। हालांकि कुछ बातें ऐसी भी है जो इजरायल के खिलाफ जा रही हैं।
3. अमेरिका और पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को यह अधिकार दे दिया है कि वह उनके द्वारा दिए गए हथियार रूस के अंदर इस्तेमाल कर सकता है। इसको कैसे देखते हैं आप?
- ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। यूक्रेन पूरी तरीके से कमजोर हो गया है। हालांकि पश्चिमी देशों की ओर से जो बातें कही गई है। वह उसे मजबूत जरूर करेगा। हालांकि बड़ा सवाल यह है कि यूक्रेन कहां पलटवार करेगा। यूक्रेन अब रूस के अंदर नहीं जा सकता बल्कि रूस उसके अंदर बहुत दूर तक आ चुका है। ऐसे में यूक्रेन पलटवार करता है तो वह अपनी जमीन में ही पलटवार करेगा। पहले भी पश्चिमी देशों के हथियार पर ही यूक्रेन यह युद्ध लड़ रहा था। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं होती थी। लेकिन अब इसकी चर्चा सामने आ चुकी है। लेकिन इससे ज्यादा यूक्रेन को बहुत ज्यादा फायदा नहीं होने वाला है। हां, उसके सैनिकों का मनोबल ज़रूर बढेगा। लेकिन यूक्रेन अगर एग्रेसिव होता है तो रूस आक्रमण को और तेजी से बढ़ा देगा।
4. अब थोड़ा अफगानिस्तान की तरफ भी बढ़ते हैं। चीन तो पहले ही अफगानिस्तान के राजदूत को अपने यहां स्वीकार कर चुका है और संबंध भी स्थापित कर लिए हैं। अब लग रहा है कि रूस भी अफगानिस्तान के साथ संबंध स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। इसको कैसे देखते हैं आप?
- ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि अफगानिस्तान पर पूरी दुनिया की नजर रहती है। अफगानिस्तान एशिया में मार्केट के लिए बेहद जरूरी है। उसका अपना भौगोलिक महत्व और जिसका फायदा हर देश उठाना चाहता है। चीन ने भी इसी आधार पर तालिबान सरकार को मान्यता देने की कोशिश की है। अफगानिस्तान में माइन्स और मिनरल की खदान है। साथ ही साथ चीन के लिए रोड कंस्ट्रक्शन को लेकर अफगानिस्तान बेहद अहम हो जाता है। रूस को लेकर उन्होंने कहा कि रूस को पता है कि अपने व्यापार को अगर बढ़ाना है तो उसके लिए अफगानिस्तान बेहद अहम हो जाता है। रूस और अफगानिस्तान के संबंध पहले भी रहे हैं। एक बार फिर से बनाने की कोशिश हो रही है। रूस और चीन दोनों का मानना है कि अफगानिस्तान को कभी दरकिनार करके नहीं रखा जा सकता है।