Narendra Singh Tomar Birthday: केंद्र की सियासत में गहरी पकड़ रखते हैं नरेंद्र सिंह तोमर, ऐसे शुरू किया राजनीतिक सफर

आज यानी की 12 जून को भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अपना 66वां जन्मदिन मना रहे हैं। ग्वालियर चंबल अंचल की सियासत में विधानसभा स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर राजनीति में काफी गहरी पकड़ रखते हैं। नरेंद्र सिंह तोमर भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और केंद्र व मध्य प्रदेश की राजनीति में उनका काफी लंबे समय से दखल रहा है। बता दें कि तोमर सूझबूझ वाले गंभीर नेता हैं। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर नरेंद्र सिंह तोमर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में... जन्म और शिक्षामध्य प्रदेश के मुरैना जिले में पोरसा विकासखंड के तहत ग्राम ओरेठी में 12 जून 1957 को नरेंद्र सिंह तोमर का जन्म हुआ था। इनके पिता मुंशी सिंह तोमर एक किसान थे। इन्होंने अपनी शिक्षा मध्य प्रदेश से पूरी की है और वह इस दौरान छात्र संघ के अध्यक्ष पर पर भी रहे हैं।राजनीतिक सफर नरेंद्र सिंह तोमर गैर राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट आपातकाल के समय शुरू हुआ। आपातकाल के विरोध में जयप्रकाश नारायण द्वारा शुरू किए गए देशव्यापी आंदोलन में तोमर भी जुड़ गए। इस दौरान उनकी पढ़ाई छूटी और जेल यात्र

Narendra Singh Tomar Birthday: केंद्र की सियासत में गहरी पकड़ रखते हैं नरेंद्र सिंह तोमर, ऐसे शुरू किया राजनीतिक सफर
आज यानी की 12 जून को भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अपना 66वां जन्मदिन मना रहे हैं। ग्वालियर चंबल अंचल की सियासत में विधानसभा स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर राजनीति में काफी गहरी पकड़ रखते हैं। नरेंद्र सिंह तोमर भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और केंद्र व मध्य प्रदेश की राजनीति में उनका काफी लंबे समय से दखल रहा है। बता दें कि तोमर सूझबूझ वाले गंभीर नेता हैं। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर नरेंद्र सिंह तोमर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में... 

जन्म और शिक्षा
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में पोरसा विकासखंड के तहत ग्राम ओरेठी में 12 जून 1957 को नरेंद्र सिंह तोमर का जन्म हुआ था। इनके पिता मुंशी सिंह तोमर एक किसान थे। इन्होंने अपनी शिक्षा मध्य प्रदेश से पूरी की है और वह इस दौरान छात्र संघ के अध्यक्ष पर पर भी रहे हैं।

राजनीतिक सफर 
नरेंद्र सिंह तोमर गैर राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट आपातकाल के समय शुरू हुआ। आपातकाल के विरोध में जयप्रकाश नारायण द्वारा शुरू किए गए देशव्यापी आंदोलन में तोमर भी जुड़ गए। इस दौरान उनकी पढ़ाई छूटी और जेल यात्रा भी करनी पड़ी। हालांकि इसके बाद उनका जीवन राजनीति से ओतप्रोत हो गया। जिस राजनीति की शुरूआत उन्होंने अपने छात्र जीवन से की थी। वह आज भी जारी है।

बता दें कि सबसे पहले तोमर एसएलपी कॉलेज के अध्यक्ष बने और उन्होंने पहली बार ग्वालियर विधानसभा चुनाव लड़ा। लेकिन इस दौरान उनको 600 वोटों से चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। हालांकि इस चुनाव में मिली हार के बाद भी वह राजनीतिक जीवन में आगे बढ़ते चले गए और उनको फिर कभी पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी।

साल 1986 से लेकर 1990 तक वह युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष रहे। इसके बाद तोमर को प्रदेश में संगठन मंत्री का दायित्व सौंपा गया। वहीं साल 1998 में नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर विधामसभा सीट से चुनाव जीते और विधानसभा पहुंचे। वहीं साल 2003 में इसी क्षेत्र से चुनाव जीतने के बाद उनको उमा भारती मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला। फिर वह बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल में भी शामिल रहे।

कुशल रणनीतिकार होने की वजह से नरेंद्र सिंह तोमर को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। मध्य प्रदेश में शिवराज और तोमर की जुगल जोड़ी के कारण ही सरकार की फिर वापसी हुई। इस दौरान साल 2007 से लेकर 2009 तक वह राज्यसभा सदस्य रहे। वहीं प्रदेश में तीसरी बार शिवराज सरकार बनाने में भी नरेंद्र सिंह तोमर की भूमिका काफी अहम रही।

इसके साथ ही साल 2009 में उन्होंने मुरैना लोकसभा संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल की और संसद पहुंचे। वहीं साल 2014 में ग्वालियर संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल की और मोदी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला। नरेंद्र सिंह तोमर अपने सरल स्वभाव और कुशल रणनीति के कारण ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद मंत्रियों में से एक बन गए। साल 2019 के मोदी मंत्रिमंडल में उनको केंद्रीय़ कृषि मंत्री का पद सौंपा गया था।

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