Kashmir में Guru Bazar से Dalgate तक निकला Muharram Procession, सैंकड़ों लोग शामिल हुए
कश्मीर में आज मुहर्रम का जुलूस गुरु बाजार से डलगेट तक निकाला गया। इस दौरान सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये गये थे। जुलूस के लिए एक विशिष्ट मार्ग दिया गया था और ट्रैफिक एडवाइजरी भी जारी की गयी थी ताकि शहर के बाकी लोगों को अपने रोजमर्रा काम करने में कोई परेशानी नहीं हो। उल्लेखनीय है कि मुहर्रम मुस्लिम कैलेंडर का पहला माह होता है। इस महीने को इस्लाम धर्म के चार पवित्र महीनों में शामिल किया जाता है। यह इस्लामी नव वर्ष का प्रतीक भी है। हम आपको यह भी याद दिला दें कि कश्मीर में पिछले साल मुहर्रम का जुलूस लगभग 35 वर्षों बाद निकला था। पिछले साल भी जुलूस पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा था।इसे भी पढ़ें: Jammu and Kashmir: अनंतनाग में 34 साल बाद फिर से खुला Uma Bhagwati Temple, स्थानीय लोगों ने जताई खुशीहम आपको बता दें कि प्रशासन ने रविवार को श्रीनगर में गुरु बाजार से डलगेट इलाके तक मुहर्रम के आठवें दिन जुलूस निकालने की अनुमति दे दी थी। अधिकारियों ने बताया था कि पुलिस की ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद श्रीनगर के जिलाधिकारी ने मुहर्रम जुलूस की अनुमति दे दी है। गौतलब है कि वर्ष 1990 में उग्रवाद भड़कन
कश्मीर में आज मुहर्रम का जुलूस गुरु बाजार से डलगेट तक निकाला गया। इस दौरान सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये गये थे। जुलूस के लिए एक विशिष्ट मार्ग दिया गया था और ट्रैफिक एडवाइजरी भी जारी की गयी थी ताकि शहर के बाकी लोगों को अपने रोजमर्रा काम करने में कोई परेशानी नहीं हो। उल्लेखनीय है कि मुहर्रम मुस्लिम कैलेंडर का पहला माह होता है। इस महीने को इस्लाम धर्म के चार पवित्र महीनों में शामिल किया जाता है। यह इस्लामी नव वर्ष का प्रतीक भी है। हम आपको यह भी याद दिला दें कि कश्मीर में पिछले साल मुहर्रम का जुलूस लगभग 35 वर्षों बाद निकला था। पिछले साल भी जुलूस पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा था।
हम आपको बता दें कि प्रशासन ने रविवार को श्रीनगर में गुरु बाजार से डलगेट इलाके तक मुहर्रम के आठवें दिन जुलूस निकालने की अनुमति दे दी थी। अधिकारियों ने बताया था कि पुलिस की ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद श्रीनगर के जिलाधिकारी ने मुहर्रम जुलूस की अनुमति दे दी है। गौतलब है कि वर्ष 1990 में उग्रवाद भड़कने के बाद श्रीनगर शहर में पारंपरिक मार्गों पर मुहर्रम के आठवें और 10वें दिन जुलूस निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि, सुरक्षा स्थिति में सुधार के बाद प्रशासन ने पिछले वर्ष 33 साल के अंतराल के बाद जुलूस निकालने की अनुमति दे दी थी।