ASEAN Future Forum में बोले विदेश मंत्री जयशंकर, क्षेत्र की शांति और स्थिरता में योगदान देने भारत का उद्देश्य

पहले आसियान फ्यूचर फोरम में विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि भारत दक्षिण पूर्व एशिया में मित्रता और सहयोग की संधि पर हस्ताक्षर करने वाले पहले देशों में से एक है। ये कदम क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता बनाए रखने के प्रति हमारे सामूहिक संकल्प को दर्शाता है। इसमें हमने पहला स्थान हासिल किया है। 2023 में आसियान-भारत समुद्री अभ्यास और दूसरे संस्करण को पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथि पर आयोजित करने का लक्ष्य, क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (SAGAR) की भारत की पहल का उद्देश्य क्षेत्र में शांति और स्थिरता में योगदान देना है। इसे भी पढ़ें: विदेश में भारतीय छात्रों की मौत के बढ़ते मामले सरकार के लिए बड़ी चिंता का विषय: S. Jaishankarभारत और आसियान सदस्य देश विभिन्न उप-क्षेत्रीय तंत्रों, अर्थात् मेकांग-गंगा सहयोग, इंडोनेशिया-मलेशिया-थाईलैंड विकास त्रिकोण और बिम्सटेक के तहत भी मिलकर काम कर रहे हैं। एस जयशंकर ने कहा कि मुझे आज वर्चुअल तौर पर इस मंच से जुड़कर खुशी हो रही है। आसियान-भारत संबंध अब अपने चौथे दशक में प्रवेश कर चुका है और एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी में परिपक्व हो गया है। 

ASEAN Future Forum में बोले विदेश मंत्री जयशंकर, क्षेत्र की शांति और स्थिरता में योगदान देने भारत का उद्देश्य
पहले आसियान फ्यूचर फोरम में विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि भारत दक्षिण पूर्व एशिया में मित्रता और सहयोग की संधि पर हस्ताक्षर करने वाले पहले देशों में से एक है। ये कदम क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता बनाए रखने के प्रति हमारे सामूहिक संकल्प को दर्शाता है। इसमें हमने पहला स्थान हासिल किया है। 2023 में आसियान-भारत समुद्री अभ्यास और दूसरे संस्करण को पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथि पर आयोजित करने का लक्ष्य, क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (SAGAR) की भारत की पहल का उद्देश्य क्षेत्र में शांति और स्थिरता में योगदान देना है। 

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भारत और आसियान सदस्य देश विभिन्न उप-क्षेत्रीय तंत्रों, अर्थात् मेकांग-गंगा सहयोग, इंडोनेशिया-मलेशिया-थाईलैंड विकास त्रिकोण और बिम्सटेक के तहत भी मिलकर काम कर रहे हैं। एस जयशंकर ने कहा कि मुझे आज वर्चुअल तौर पर इस मंच से जुड़कर खुशी हो रही है। आसियान-भारत संबंध अब अपने चौथे दशक में प्रवेश कर चुका है और एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी में परिपक्व हो गया है। 

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विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि हम वास्तव में आसियान एकता, आसियान केंद्रीयता और इंडो-पैसिफिक भारत पर आसियान दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं विश्वास है। हमारा मानना है कि एक मजबूत और एकीकृत आसियान हिंद-प्रशांत की उभरती क्षेत्रीय वास्तुकला में रचनात्मक भूमिका निभा सकता है।

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