भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे आज यानी की 15 जून को अपना 87वां जन्मदिन मना रहे हैं। अन्ना हजारे कई मुद्दों पर आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता के रूप में जाने जाते है। वह महात्मा गांधी के विचारधारा पर चलने वाले समाजसेवक हैं। वह लोकपाल बिल को पास करवाने से लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद कर चुके हैं। वर्तमान समय में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उस समय अन्ना हजारे के अनुयायी हुआ करते थे। अन्ना हजारे के फौलादी जज्बों के कारण देशभर में उनके लाखों-करोड़ों चाहने वाले हैं। आइए जानते हैं उनके बर्थडे के मौके पर अन्ना हजारे के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
महाराष्ट्र के भिनगर में 15 जून 1937 को अन्ना हजारे का जन्म हुआ था। अन्ना हजारे का असली नाम बाबूराव हजारे है। लेकिन लोग उनको अन्ना हजारे के नाम से जानते हैं। बता दें मराठी समुदाय के घर में बड़े बेटे को अन्ना कहा जाता है। जिस कारण वह अन्ना हजारे के नाम से जाने जाते हैं। वह 6 भाई-बहन हैं। वह बचपन से ही अपने उसूलों के बड़े पक्के थे। उनको बचपन से ही मुफ्त की चीजें नहीं भाती थीं। वहीं आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह गुजारे के लिए फूल बेचने तक का काम किया करते थे।
इंडियन आर्मी से जुड़े हजारे
साल 1963 में अन्ना हजारे भारतीय आर्मी से जुड़े थे। उस दौरान भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था। जिसमें भारतीय सेना बुरी तरह हार गई थी। तब भारत सरकार ने लोगों से भारतीय सेना में शामिल होने की अपील की थी। अन्ना हजारे करीब 15 सालों तक भारतीय सेना से जुड़े रहे और फिर उन्होंने सेना से वॉलियंटरी रिटायरमेंट ले ली थी। दरअसल, सैन्य पोस्टींग के दौरान अन्ना हजारे को एक बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ा था।
साल 1965 में पाकिस्तान की तरफ से इंडियन पोस्ट पर हवाई फायरिंग की गई थी। इस हवाई फायरिंग में अन्ना हजारे बाल-बाल बचे थे। उसके बाद से उन्होंने खुद को सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर देश की सेवा करने की ठानी और खुद को देशसेवा के लिए समर्पित कर दिया।
ऐसे तय किया जिंदगी का मकसद
बता दें कि अन्ना हजारे अपने जीवन में स्वामी विवेकानंद से काफी ज्यादा प्रभावित रहे। उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उन्होंने विवेकानंद की एक किताब पढ़ी। जिसके बाद उन्होंने अपनी जिंदगी का मकसद तय किया। वह गांधीजी को अपना आदर्श मानते हैं और हमेशा गांधीजी के सिद्धांतों पर चले हैं। उन्होंने बदलाव की शुरूआत की पहल सबसे पहले अपने गांव से की थी। दरअसल, उन्होंने अपने गांव को मॉडल विलेज बनाने में सहायता की थी। इस कार्य के लिए अन्ना हजारे को काफी सराहना मिली थी।
भ्रष्टाचार के खिलाफ बुलंद की आवाज
अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ भी अपनी आवाज को बुलंद किया था। हजारे ने दिल्ली के जतंर-मंतर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन किया था, इस दौरान वह कई दिनों तक भूखे-प्यासे रहे। उनके इस काम को देखते ही लगभग पूरा देश अन्ना हजारे के समर्थन में उतर आया था। इसके अलावा अन्ना हजारे ने लोकपाल बिल पास करवाने में अहम भूमिका निभाई थी।
देश सेवा के कारण वह कभी भी गृहस्थ जीवन में नहीं रहे। वर्तमान समय में भी वह रालेगढ़ सिद्धि में स्थित संत यादव बाबा मंदिर के पास एक छोटे से कमरे में अकेले रहते हैं। देश की सेना में अपना कर्तव्य निभाने के बाद 80 के दशक में अन्ना हज़ारे महाराष्ट्र में एक ऐसा चेहरा बनकर उभरे। जिन्होंने सरकारी भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज बुलंद करने का जोखिम लिया। क्योंकि किसी ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ कुछ भी बोलने की जुर्रत नहीं की थी। लेकिन अन्ना हजारे कांग्रेस से लेकर शिवसेना-बीजेपी की सरकारों से निडरता से टकराते रहे।