सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत ने पिछले साल अपने सैन्य खर्च में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि की है। इस प्रकार विश्व स्तर पर शीर्ष सैन्य खर्च करने वालों में भारत ने अपना चौथा स्थान बरकरार रखा है। सशस्त्र संघर्ष, सैन्य खर्च और हथियारों के व्यापार के साथ-साथ निरस्त्रीकरण और हथियार नियंत्रण के लिए डेटा, विश्लेषण करते वाली स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) द्वारा रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई है। सोमवार को प्रकाशित रिपोर्ट में भारत को 2023 में वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा सैन्य खर्च करने वाला देश बताया गया। 83.6 बिलियन इसका सैन्य खर्च 2022 की तुलना में 4.2 प्रतिशत अधिक था। इससे पहले 2022 में भारत का सैन्य खर्च 81.4 बिलियन डॉलर था, जो लगभग 6 प्रतिशत अधिक था। इसका मतलब है कि 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से सैन्य खर्च 47 प्रतिशत बढ़ गया है।
कौन सा देश सेना पर सबसे ज्यादा खर्च करता है?
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में कुल वैश्विक सैन्य खर्च 2,443 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो 2022 से वास्तविक रूप से 6.8 प्रतिशत अधिक है। 2009 के बाद से साल-दर-साल इसमें इजाफा देखने को मिला है। 2023 में 10 सबसे बड़े खर्च करने वालों का आंकलन किया गया। वैश्विक सैन्य खर्च पर नए आंकड़ों के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस-सभी ने अपने सैन्य खर्च में बढ़ोतरी की है। एसआईपीआरआई के सैन्य व्यय और हथियार उत्पादन कार्यक्रम के वरिष्ठ शोधकर्ता नान तियान ने कहा कि देश सैन्य ताकत को प्राथमिकता दे रहे हैं।
भारत अपना सैन्य खर्च क्यों बढ़ा रहा है?
नई दिल्ली पिछले 10 वर्षों से लगातार सैन्य खर्च बढ़ा रही है। 2020 में चीन के साथ सीमा संघर्ष के बाद इसमें जबरदस्त वृद्धि हुई है। गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के हमले में कम से कम 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इससे पहले, सीमावर्ती क्षेत्रों खासकर जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी सेना द्वारा प्रायोजित आतंकी हमलों के लगातार हमलों के बीच भारत ने पाकिस्तान को अपना सबसे बड़ा दुश्मन माना था। हालाँकि, घाटी को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने के भारत सरकार के फैसले के बाद आतंकी हमलों में काफी कमी आई है।