शोक की वजह से वकीलों की हड़ताल आपराधिक अवमानना मानी जाएगी
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक आदेश में कहा है कि एक वकील या उस अदालत के अधिकारी या कर्मचारी या उनके रिश्तेदारों के निधन की वजह से शोक होने पर वकील या उसके संघ के हड़ताल पर जाने या हड़ताल का आह्वान करने या फिर कार्य से विरत रहने को आपराधिक अवमानना माना जाएगा। अदालत ने हालांकि स्पष्ट किया कि वकील या उनके संघ दोपहर साढ़े तीन बजे के बाद ही कोई शोक सभा आयोजित कर सकते हैं। न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के सभी जिला न्यायाधीशों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने न्यायालयों में वकीलों की हड़ताल की सूचना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को दें, साथ ही हड़ताल का आह्वान करने वाले संबंधित बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के नाम भी बताएं, ताकि उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू की जा सके।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक आदेश में कहा है कि एक वकील या उस अदालत के अधिकारी या कर्मचारी या उनके रिश्तेदारों के निधन की वजह से शोक होने पर वकील या उसके संघ के हड़ताल पर जाने या हड़ताल का आह्वान करने या फिर कार्य से विरत रहने को आपराधिक अवमानना माना जाएगा।
अदालत ने हालांकि स्पष्ट किया कि वकील या उनके संघ दोपहर साढ़े तीन बजे के बाद ही कोई शोक सभा आयोजित कर सकते हैं। न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के सभी जिला न्यायाधीशों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने न्यायालयों में वकीलों की हड़ताल की सूचना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को दें, साथ ही हड़ताल का आह्वान करने वाले संबंधित बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के नाम भी बताएं, ताकि उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू की जा सके।
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