राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुलाई सदन के नेताओं की बैठक, विपक्ष के आरोपों के बाद छोड़ दी थी कुर्सी

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कुछ देर के लिए सदन की अध्यक्षता करना बंद कर दिया और यह कहते हुए सदन से चले गए कि उन्हें "वह समर्थन नहीं मिला जो उन्हें मिलना चाहिए था।" इसके बाद राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन के नेताओं की बैठक बुलाई। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सदन में जो दृश्य बना वह अभूतपूर्व और असहनीय था। कड़े फैसले लेना हमारा कर्तव्य है। इससे पहले धनखड़ ने कहा कि इस पवित्र सदन को अराजकता का केंद्र बनाना, भारतीय लोकतंत्र पर हमला करना, अध्यक्ष पद की गरिमा को धूमिल करना, ये सिर्फ अभद्र आचरण नहीं है, ये सारी मर्यादाएं लांघने वाला आचरण है।  इसे भी पढ़ें: लोकसभा में पेश किया गया वक्फ बिल, विपक्ष ने कहा- यह संविधान की मूल भावना के खिलाफजगदीप धनखड़ ने आगे कहा कि पिछले कुछ दिनों में जो मैं देख रहा हूं और जिस तरह से शब्दों के माध्यम से, पत्रों के माध्यम से, अखबारों के माध्यम से चुनौती दी जा रही है, कितनी गलत टिप्पणियां की गई हैं। ये चुनौती मुझे नहीं दी जा रही है बल्कि ये चुनौती अध्यक्ष पद को दी जा रही है। और ये चुनौती इसलिए दी जा रही है क्योंकि उन्हें (विपक्ष को) लगता है कि इस पद पर ब

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुलाई सदन के नेताओं की बैठक, विपक्ष के आरोपों के बाद छोड़ दी थी कुर्सी
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कुछ देर के लिए सदन की अध्यक्षता करना बंद कर दिया और यह कहते हुए सदन से चले गए कि उन्हें "वह समर्थन नहीं मिला जो उन्हें मिलना चाहिए था।" इसके बाद राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन के नेताओं की बैठक बुलाई। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सदन में जो दृश्य बना वह अभूतपूर्व और असहनीय था। कड़े फैसले लेना हमारा कर्तव्य है। इससे पहले धनखड़ ने कहा कि इस पवित्र सदन को अराजकता का केंद्र बनाना, भारतीय लोकतंत्र पर हमला करना, अध्यक्ष पद की गरिमा को धूमिल करना, ये सिर्फ अभद्र आचरण नहीं है, ये सारी मर्यादाएं लांघने वाला आचरण है। 
 

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जगदीप धनखड़ ने आगे कहा कि पिछले कुछ दिनों में जो मैं देख रहा हूं और जिस तरह से शब्दों के माध्यम से, पत्रों के माध्यम से, अखबारों के माध्यम से चुनौती दी जा रही है, कितनी गलत टिप्पणियां की गई हैं। ये चुनौती मुझे नहीं दी जा रही है बल्कि ये चुनौती अध्यक्ष पद को दी जा रही है। और ये चुनौती इसलिए दी जा रही है क्योंकि उन्हें (विपक्ष को) लगता है कि इस पद पर बैठा व्यक्ति इसके लायक नहीं है।  इस घटनाक्रम से धनखड़ और विपक्षी दलों के बीच असहज संबंध एक बार फिर सामने आ गए। 
 

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सुबह उच्च सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर सूचीबद्ध दस्तावेज सदन में पेश किए जाने के तुरंत बाद विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक मुकाबले से पहले भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट को अयोग्य ठहराये जाने के मुद्दे पर चर्चा की मांग की और जानना चाहा कि ‘इसके पीछे कौन है’। हालांकि, धनखड़ ने खरगे को यह मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं दी। इस बीच, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन कुछ मुद्दे उठाने के लिए खड़े हुए लेकिन सभापति ने उन्हें अनुमति नहीं दी। सभापति ने विनेश के मामले पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा कर रहे सदस्यों की बात को अनसुनी कर दिया तो सदन में शोरगुल और तेज हो गया। 

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