मोदी का मास्टरस्ट्रोक...लोकसभा स्पीकर का नाम देख विपक्ष भी हैरान, TDP के गढ़ से BJP ने चल दिया बड़ा दांव

नरेंद्र मोदी की तीसरी पारी में सरकार को और परफेक्शन और स्पीड से चलाने के लिए मंत्रालय के विभागों का बंटवारा हो गया। मोदी सरकार के टॉप फाइव मंत्रालयों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री के बाद जो सबसे खास या ताकतवर पद माने जाते हैं उनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। राजनाथ सिंह से लेकर एस जयशंकर तक तमाम चेहरे फिर से अपने पिछले कार्यकाल के मंत्रालय के कामों को इस कार्यकाल में भी आगे बढ़ाएंगे। मोदी 3.0 सरकार में लोकसभा अध्यक्ष पद की घोषणा अभी तक नहीं की गई है। क्या स्पीकर एक बार फिर बीजेपी से होगा या भगवा पार्टी के सहयोगी दल से इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। पिछली बार जिनका नाम स्पीकर पद के लिए आया था वो बिल्कुल चर्चा में नहीं थे। अमूमन लोकसभा स्पीकर के लिए किसी अनुभवी सांसद को ही जिम्मेदारी दी जाती रही है। लेकिन दूसरी बार राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला का नाम आगे कर बीजेपी ने सभी को चौंका दिया था। लेकिन इस बार बहुमत गठबंधन को मिला है बीजेपी को नहीं और उसे अलायंस को भी साथ लेकर चलना होगा।इसे भी पढ़ें: शपथ से पहेल चंद्रबाबू नायडू का ऐलान, अमरावती ही होगी आंध्र प्रदेश

मोदी का मास्टरस्ट्रोक...लोकसभा स्पीकर का नाम देख विपक्ष भी हैरान, TDP के गढ़ से BJP ने चल दिया बड़ा दांव

नरेंद्र मोदी की तीसरी पारी में सरकार को और परफेक्शन और स्पीड से चलाने के लिए मंत्रालय के विभागों का बंटवारा हो गया। मोदी सरकार के टॉप फाइव मंत्रालयों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री के बाद जो सबसे खास या ताकतवर पद माने जाते हैं उनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। राजनाथ सिंह से लेकर एस जयशंकर तक तमाम चेहरे फिर से अपने पिछले कार्यकाल के मंत्रालय के कामों को इस कार्यकाल में भी आगे बढ़ाएंगे। मोदी 3.0 सरकार में लोकसभा अध्यक्ष पद की घोषणा अभी तक नहीं की गई है। क्या स्पीकर एक बार फिर बीजेपी से होगा या भगवा पार्टी के सहयोगी दल से इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। पिछली बार जिनका नाम स्पीकर पद के लिए आया था वो बिल्कुल चर्चा में नहीं थे। अमूमन लोकसभा स्पीकर के लिए किसी अनुभवी सांसद को ही जिम्मेदारी दी जाती रही है। लेकिन दूसरी बार राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला का नाम आगे कर बीजेपी ने सभी को चौंका दिया था। लेकिन इस बार बहुमत गठबंधन को मिला है बीजेपी को नहीं और उसे अलायंस को भी साथ लेकर चलना होगा।

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वाजपेयी कार्यकाल में सहयोगी को मिला स्पीकर पद 

पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 12वीं लोकसभा में 10 मार्च 1998 से 26 अप्रैल 1999 तक 13 महीने तक चली। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के नेता जीएमसी बालयोगी को मार्च 1998 में अध्यक्ष चुना गया। 2002 में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के पूरे 5 साल के कार्यकाल (1999-2004) के दौरान, शिवसेना के मनोहर जोशी लोकसभा अध्यक्ष चुने गए। 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने अकेले जादुई आंकड़े से ज्यादा 282 सीटें जीतीं, जबकि एनडीए के साथ मिलकर लोकसभा में उसकी कुल ताकत 336 थी। 2019 में भगवा पार्टी ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और अपने दम पर 303 सीटें जीतीं, जबकि एनडीए के साथ मिलकर, गठबंधन लोकसभा में 353 सीटों पर रहा। वाजपेयी के युग के दौरान, भाजपा अपने दम पर 200 का आंकड़ा पार नहीं कर सकी, इसलिए, सरकार की स्थिरता काफी हद तक उसके सहयोगियों पर निर्भर थी, और अध्यक्ष पद गठबंधन सहयोगियों को आवंटित किया गया था। 

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टीडीपी के गढ़ से आए नाम से चौंक जाएंगे नायडू भी

आंध्र प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और राजमुंदरी से सांसद दग्गुबाती पुरंदेश्वरी 18वीं लोकसभा में अध्यक्ष पद के संभावितों में शामिल हैं। भाजपा के सूत्रों के अनुसार, पूर्व केंद्रीय मंत्री और टीडीपी संस्थापक एनटी रामा राव की बेटी को विशेष रूप से उन्हें लोकसभा अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण वाले नए मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया है। यदि पुरंदेश्वरी को लोकसभा अध्यक्ष चुना जाता है, तो वह संसद में प्रतिष्ठित पद संभालने वाली आंध्र प्रदेश की दूसरी सांसद होंगी। पहले अमलापुरम के पूर्व सांसद गंती मोहन चंद्र बालयोगी थे, जिनकी 2002 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। सूत्रों ने कहा कि बीजेपी का मानना ​​है कि पुरंदेश्वरी को लोकसभा अध्यक्ष बनाए जाने का तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मनोनीत मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा भी स्वागत किया जाएगा। विशेष रूप से, नायडू की पत्नी और पुरंदेश्वरी बहनें हैं। 

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