बातचीत के जरिए हल हो सारे मसले, उमर अब्दुल्ला बोले- पाकिस्तान और हिंदुस्तान मिलकर...
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और बारामूला लोकसभा सीट से उम्मीदवार उमर अब्दुल्ला ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस का हमेशा से यह स्टैंड रहा है कि मसले बातचीत के जरिए हल होंगे। अब पाकिस्तान में एक नई हुकूमत आई है, यहां भी 4 जून के बाद हुकूमत बनेगी। हम उम्मीद करेंगे कि पाकिस्तान और हिंदुस्तान की हुकूमत मिलकर इस तरह के हालात कायम करेंगे कि बातचीत का सिलसिला शुरू हो सके। अगर भाजपा को सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होते हुए नजर आ रही है तो उन्हें भारतीय वायुसेना के काफिले की गाड़ियों पर जो आतंकवादी हमला हुआ उसपर जवाब देना चाहिए।इसे भी पढ़ें: Pakistan ने चूड़ियां नहीं पहन रखी है, फारूक अब्दुल्ला की चेतावनी- भारत ने PoK पर नजर डाली तो एटम बम गिरेगाउमर अब्दुल्ला ने कहा कि पिछले 4-5 साल से ऐसे इलाके आतंकवाद की चपेट में आ गए हैं जिन्हें हमने आतंकवाद से लगभग पूरी तरह आज़ाद किया था। कभी आतंकवादियों का गढ़ रहे श्रीनगर शहर में अब राजनीतिक हलचल नजर आ रही है। इस लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार के लिए एक रैली आयोजित कर साहसिक कदम उठाया। इसे भी पढ़ें: EVM एक च
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और बारामूला लोकसभा सीट से उम्मीदवार उमर अब्दुल्ला ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस का हमेशा से यह स्टैंड रहा है कि मसले बातचीत के जरिए हल होंगे। अब पाकिस्तान में एक नई हुकूमत आई है, यहां भी 4 जून के बाद हुकूमत बनेगी। हम उम्मीद करेंगे कि पाकिस्तान और हिंदुस्तान की हुकूमत मिलकर इस तरह के हालात कायम करेंगे कि बातचीत का सिलसिला शुरू हो सके। अगर भाजपा को सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होते हुए नजर आ रही है तो उन्हें भारतीय वायुसेना के काफिले की गाड़ियों पर जो आतंकवादी हमला हुआ उसपर जवाब देना चाहिए।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पिछले 4-5 साल से ऐसे इलाके आतंकवाद की चपेट में आ गए हैं जिन्हें हमने आतंकवाद से लगभग पूरी तरह आज़ाद किया था। कभी आतंकवादियों का गढ़ रहे श्रीनगर शहर में अब राजनीतिक हलचल नजर आ रही है। इस लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार के लिए एक रैली आयोजित कर साहसिक कदम उठाया।
श्रीनगर के हवल इलाके में एक समय प्रतिबंधित अल उमर मुजाहिदीन (एयूएम) आतंकवादी समूह की दहशत थी और 1990 के दशक की शुरुआत में अपहरण यहां आम बात थी। अब हवल में राजनीतिक रैलियों और पार्टी गतिविधियों को साफ देखा जा सकता है। उमर अब्दुल्ला की रैली में शामिल लोग बेहद उत्साहित दिखे।