दिल्ली कांग्रेस में गुटीय कलह बुधवार को तब और तेज हो गई जब कांग्रेस के पूर्व विधायक नीरज बसोया और नसीब सिंह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। पूर्व विधायकों ने दिल्ली में आप के साथ गठबंधन करने के कांग्रेस के फैसले की आलोचना की और उत्तर-पश्चिम दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से उदित राज के नामांकन पर नाराजगी व्यक्त की। यह घटनाक्रम अरविंदर सिंह लवली के दिल्ली कांग्रेस प्रमुख पद से इस्तीफा देने के कुछ दिनों बाद आया है। मंगलवार को कांग्रेस ने अपने पंजाब प्रभारी देवेंद्र यादव को अपनी दिल्ली इकाई का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया।
पत्र में इन लोगों ने लिखा कि AAP के साथ हमारा गठबंधन बेहद अपमानजनक है क्योंकि AAP पिछले 7 वर्षों में कई घोटालों से जुड़ी रही है। आम आदमी पार्टी के शीर्ष तीन नेता - अरविंद केजरीवाल, सत्येन्द्र जैन और मनीष सिसौदिया पहले से ही जेल में हैं। बसोया ने कहा, ''मेरा मानना है कि एक स्वाभिमानी पार्टी नेता के तौर पर मैं अब पार्टी से नहीं जुड़ा रह सकता।'' नसीब सिंह ने खड़गे को लिखे अपने पत्र में पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस के विरोधाभास का हवाला दिया।
उन्होंने लिखा कि आपने दवेंद्र यादव को डीपीसीसी प्रमुख नियुक्त किया है। एआईसीसी (पंजाब प्रभारी) के रूप में, उन्होंने पंजाब में पूरी तरह से अरविंद केरीवाल के झूठे एजेंडे पर हमला करने के आधार पर एक अभियान चलाया है और आज, दिल्ली में, उन्हें AAP की प्रशंसा और समर्थन करने का जनादेश दिया जाएगा। हालिया घटनाक्रम से बेहद दुखी और अपमानित होकर मैं पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं।'
क्यों शुरू हुआ बवाल
दरअसल, दिल्ली कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कन्हैया कुमार स्थानीय नेताओं को महत्व नहीं दे रहे हैं। कन्हैया कुमार के कार्यालय उद्घाटन को लेकर जो पोस्ट छपी थी उसमें सिर्फ राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल की फोटो थी। दिल्ली कांग्रेस के नेताओं को यह भी पसंद नहीं आया। इतना ही नहीं, कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी का विरोध कांग्रेस के नेताओं की ओर से किया जा रहा है। कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं का साफतौर पर कहना है कि उन्हें बाहरी उम्मीदवार नहीं चाहिए। अरविंदर सिंह लवली के इस्तीफा के बाद कांग्रेस का विरोध सड़क पर आ चुका है। कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर कन्हैया कुमार का विरोध कर रहे हैं। कन्हैया कुमार के व्यवहार ने भी कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं को आहत किया है। कार्यकर्ता साफ तौर पर कहा रहे हैं कि अरविंदर सिंह लवली, संदीप दीक्षित जैसे लोगों को टिकट दिया जाना चाहिए क्योंकि वे स्थानीय समस्याओं को समझते हैं।