घटते रसूख़ के बीच अंसारी बंधुओ के घर की महिलाओं ने बाहर आकर संभाला मोर्चा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की गाजीपुर लोकसभा सीट के चुनाव की रंगत इस बार काफी बदली बदली नजर आ रही है। बाहुबली मुख्तार अंसारी की मौत के बाद यहां का सियासी मिजाज काफी बदल गया है। अंसारी परिवार की धमक और खनक लगातार कम होती जा है। यही वजह है पहली बार अफजाल अंसारी के लिए उनके परिवार और बेटी को मतदाताओं के घर घर जाना पड़ रहा है। माफिया मुख्तार अंसारी परिवार के ढहते रसूख और लोगों के उस पर कथित विश्वास के बीच है यहाँ के लोग कहते हैं कि हम अपने विवेक से मतदान करेंगे। मुख्तार के जीवित रहते जो लोग दबाव में जी हुजूरी करते थे और अब उसकी मौत के बाद उनका जिस तरह व्यवहार बदला है इसका अहसास भी परिवार को है। इसीलिये अंसारी परिवार की महिलाएं मतदाताओं के बीच ही ज्यादा जा रही हैं। यहां सातवें चरण में चल पहली जून को मतदान होगा।इसे भी पढ़ें: Lok Sabha Election: कांग्रेस का आरोप, EC में हमने की कई शिकायतें, मोदी-शाह के खिलाफ नहीं हुई कोई कार्रवाईमुख्तार के गृह जिले और सर्वाधिक प्रभाव वाली इस सीट पर 40 साल के राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार है, जब उनके घर की महिलाएं परिवार के राजनीतिक वजूद या रसूख के लिए अपनी ड्योढी

घटते रसूख़ के बीच अंसारी बंधुओ के घर की महिलाओं ने बाहर आकर संभाला मोर्चा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की गाजीपुर लोकसभा सीट के चुनाव की रंगत इस बार काफी बदली बदली नजर आ रही है। बाहुबली मुख्तार अंसारी की मौत के बाद यहां का सियासी मिजाज काफी बदल गया है। अंसारी परिवार की धमक और खनक लगातार कम होती जा है। यही वजह है पहली बार अफजाल अंसारी के लिए उनके परिवार और बेटी को मतदाताओं के घर घर जाना पड़ रहा है। माफिया मुख्तार अंसारी परिवार के ढहते रसूख और लोगों के उस पर कथित विश्वास के बीच है यहाँ के लोग कहते हैं कि हम अपने विवेक से मतदान करेंगे। मुख्तार के जीवित रहते जो लोग दबाव में जी हुजूरी करते थे और अब उसकी मौत के बाद उनका जिस तरह व्यवहार बदला है इसका अहसास भी परिवार को है। इसीलिये अंसारी परिवार की महिलाएं मतदाताओं के बीच ही ज्यादा जा रही हैं। यहां सातवें चरण में चल पहली जून को मतदान होगा।

इसे भी पढ़ें: Lok Sabha Election: कांग्रेस का आरोप, EC में हमने की कई शिकायतें, मोदी-शाह के खिलाफ नहीं हुई कोई कार्रवाई

मुख्तार के गृह जिले और सर्वाधिक प्रभाव वाली इस सीट पर 40 साल के राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार है, जब उनके घर की महिलाएं परिवार के राजनीतिक वजूद या रसूख के लिए अपनी ड्योढी से बाहर निकली हैं और घर-घर जाकर वोट मांग रहीं। भूमिहार, ठाकुर और ब्राह्मण परिवारों के बीच उनकी उपस्थिति नगण्य है। पिता के लिए प्रचार करने पहुंचीं नूरिया वहां मौजूद महिलाओं को भाजपा की बुराई बताती हैं। नरेन्द्र मोदी सरकार की गारंटी पर सवाल उठाती हैं। पूंजीवाद, सामंतवाद की बात करती हैं। वैसे नूरिया ने भी लोकसभा चुनाव के लिये निर्दलीय पर्चा भरा है।

What's Your Reaction?

like
0
dislike
0
love
0
funny
0
angry
0
sad
0
wow
0