उच्चतम न्यायालय ने चिकित्सकों की अमानवीय कार्य अवधि को लेकर चिंता जताई
उच्चतम न्यायालय ने देशभर में रेजिडेंट चिकित्सकों की अमानवीय कार्य अवधि को लेकर बृहस्पतिवार को गहरी चिंता व्यक्त की। न्यायालय ने कहा कि ये चिकित्सक कभी-कभी लगातार 36 घंटे तक सेवा में रहते हैं। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कोलकाता के एक अस्पताल में प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ कथित बलात्कार और उसकी हत्या से संबंधित एक स्वत: संज्ञान वाले मामले की सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं। न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी पीठ में शामिल थे। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम देशभर में रेजिडेंट चिकित्सकों की अमानवीय कार्य अवधि को लेकर बेहद चिंतित हैं। कुछ चिकित्सक लगातार 36 घंटे काम करते हैं। गठित की गई समिति को सभी चिकित्सकों के काम के घंटों को सुव्यवस्थित करने पर भी विचार करना चाहिए। लगातार 36 या 48 घंटे तक काम करना बिल्कुल अमानवीय है।’’ उच्चतम न्यायालय ने चिकित्सकों, विशेषकर रेजिडेंट चिकित्सकों की अमानवीय कार्य अवधि पर ध्यान दिया और कहा कि राष्ट्रीय कार्यबल (एनटीएफ) इस पहलू पर भी गौर करेगा। एनटीएफ की स्थापना उच्चतम न्यायालय ने सभी हितधारकों के सुझावों को ध्य

उच्चतम न्यायालय ने देशभर में रेजिडेंट चिकित्सकों की अमानवीय कार्य अवधि को लेकर बृहस्पतिवार को गहरी चिंता व्यक्त की। न्यायालय ने कहा कि ये चिकित्सक कभी-कभी लगातार 36 घंटे तक सेवा में रहते हैं।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कोलकाता के एक अस्पताल में प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ कथित बलात्कार और उसकी हत्या से संबंधित एक स्वत: संज्ञान वाले मामले की सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं।
न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी पीठ में शामिल थे। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम देशभर में रेजिडेंट चिकित्सकों की अमानवीय कार्य अवधि को लेकर बेहद चिंतित हैं। कुछ चिकित्सक लगातार 36 घंटे काम करते हैं। गठित की गई समिति को सभी चिकित्सकों के काम के घंटों को सुव्यवस्थित करने पर भी विचार करना चाहिए। लगातार 36 या 48 घंटे तक काम करना बिल्कुल अमानवीय है।’’
उच्चतम न्यायालय ने चिकित्सकों, विशेषकर रेजिडेंट चिकित्सकों की अमानवीय कार्य अवधि पर ध्यान दिया और कहा कि राष्ट्रीय कार्यबल (एनटीएफ) इस पहलू पर भी गौर करेगा।
एनटीएफ की स्थापना उच्चतम न्यायालय ने सभी हितधारकों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए देशभर के चिकित्सा पेशेवरों के लिए एक समान सुरक्षा प्रोटोकॉल की सिफारिश करने के लिए की है।
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