अदालत ने ‘आप’ पार्षद के कथित जाली जाति प्रमाणपत्र के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया

राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने आम आदमी पार्टी (आप) पार्षद बॉबी किन्नर पर अनुसूचित जाति (एससी) का जाली प्रमाणपत्र इस्तेमाल करने का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए शनिवार को दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया। अदालत ने जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले प्राधिकारियों की दो ‘अलग-अलग रिपोर्ट’ के आधार पर पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया। अदालत ने पुलिस को मामले की जांच कर यह पता लगाने का निर्देश दिया कि क्या मामले में कोई अपराध हुआ है या नहीं। इसके साथ ही पुलिस को पूरी कहानी का पता लगाने के लिए विस्तृत जांच करने को भी कहा गया। न्यायिक मजिस्ट्रेट सान्या दलाल पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश जारी करने के लिए दायर अर्जी पर सुनवाई कर रही थीं। याचिका में आरोप लगाया गया कि पार्षद ने ‘जाली दस्तावेजों’ का उपयोग कर अनुसूचित जाति (एससी) प्रमाण पत्र प्राप्त किया। अदालत ने कहा, “ शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों के मुताबिक एक प्रमाणपत्र गौतम बुद्ध नगर जिले के तहसीलदार से और उसके पांच दिनों के भीतर ही दूसरा जाति प्रमाण पत्र दिल्ली के एक प्राधिकरण से

अदालत ने ‘आप’ पार्षद के कथित जाली जाति प्रमाणपत्र के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया

राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने आम आदमी पार्टी (आप) पार्षद बॉबी किन्नर पर अनुसूचित जाति (एससी) का जाली प्रमाणपत्र इस्तेमाल करने का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए शनिवार को दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया।

अदालत ने जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले प्राधिकारियों की दो ‘अलग-अलग रिपोर्ट’ के आधार पर पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया। अदालत ने पुलिस को मामले की जांच कर यह पता लगाने का निर्देश दिया कि क्या मामले में कोई अपराध हुआ है या नहीं। इसके साथ ही पुलिस को पूरी कहानी का पता लगाने के लिए विस्तृत जांच करने को भी कहा गया।

न्यायिक मजिस्ट्रेट सान्या दलाल पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश जारी करने के लिए दायर अर्जी पर सुनवाई कर रही थीं। याचिका में आरोप लगाया गया कि पार्षद ने ‘जाली दस्तावेजों’ का उपयोग कर अनुसूचित जाति (एससी) प्रमाण पत्र प्राप्त किया।

अदालत ने कहा, “ शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों के मुताबिक एक प्रमाणपत्र गौतम बुद्ध नगर जिले के तहसीलदार से और उसके पांच दिनों के भीतर ही दूसरा जाति प्रमाण पत्र दिल्ली के एक प्राधिकरण से प्राप्त किया गया।

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