हर साल 20 जुलाई को विश्व शतरंज दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) की स्थापना की वर्षगांठ को यह दिन चिह्नित करता है। यह एक बहुत पुराना खेल है। इस खेल की शुरूआत 6वीं शताब्दी में हुई थी। शतरंज के खेल की शुरूआत भारत में चतुरंग नामक खेल से हुई थी। जिसके बाद यह खेल धीरे-धीरे पश्चिम में फैल गया और वहीं 15वीं शताब्दी तक शतरंज का खेल यूरोप का सबसे पसंदीदा खेल बन गया।
बता दें कि 19वीं शताब्दी तक यह लोकप्रिय अंतरराष्ट्रीय खेल बन गया था। वहीं साल 1924 में दुनिया भर में शतरंज को व्यवस्थित और बढ़ावा देने के लिए FIDE की स्थापना की गई थी। FIDE विश्व चैंपियनशिप समेत अन्य कई अंतरराष्ट्रीय शतरंज टूर्नामेंटों को आयोजित करता है।
विश्व शतरंज दिवस का महत्व
विश्व शतरंज दिवस के मौके पर दुनिया भर के लोगों को शतरंज सीखने और खेलने के लिए प्रोत्साहित करने का अवसर देता है।
यह सिर्फ एक खेल नहीं है, बल्कि यह खेल विज्ञान, कला और दर्शन से जुड़ा है। इस खेल को खेलने में रणनीतिक सोच, समस्या समाधान और एकाग्रता जैसे कौशल को विकसित करने में मदद करता है।
शतरंज का खेल संस्कृति, धर्म और भाषा की परवाह किए बिना लोगों को एक साथ लाने में मदद कर सकता है। यह खेल अंतरराष्ट्रीय समझ और सद्भाव बढ़ावा देता है।
विश्व शतरंज दिवस के अवसर दुनियाभर में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। स्कूलों और क्लबों में प्रदर्शनियां और शतरंज टूर्नामेंट आदि शामिल है।
रोचक तथ्य
बता दें कि 12वीं शताब्दी का विश्व का सबसे पुराना शतरंज का टुकड़ा है, जोकि आयरलैंड में पाया गया था।
यह खेल 32 अलग-अलग टुकड़ों के साथ खेला जा सकता है। लेकिन सिर्फ 16 टुकड़े मानक खेल में होते हैं।
साल 1984 में बेल्ग्रेड में दुनिया का सबसे लंबा शतरंज का खेल खेला गया था। यह खेल 219 घंटे 05 मिनट तक चला था।
यूनेस्को द्वारा अप्राप्य सांस्कृतिक विरासत के रूप में शतरंज को मान्यता प्राप्त है।