
आज पूरे देश में हर साल १ से ७ अगस्त को "विश्व स्तनपान दिवस" के रूप में मनाया जाता है। विश्व स्तनपान सप्ताह पहली बार १९९२ में वर्ल्ड अलायंस फॉर ब्रेस्टफीडिंग एक्शन (WABA) द्वारा मनाया गया था और अब यूनिसेफ,WHO,नागरिक समाज संगठनों और राज्य सरकारों द्वारा १२० से अधिक देशों में मनाया जाता है। भारत में पहला मानव दूध बैंक १९८९ में मुंबई के लोकमान्य तिलक म्युनिसिपल मेडिकल कॉलेज एव जनरल अस्पताल में स्थापित किया गया था। इसके बाद वर्ष २००५ और २०१५ के बीच देशभर में २२ मानव दूध बैंक स्थापित किए गए। वर्ष २०२१ तक भारत में ९० से अधिक मानव दूध बैंक कार्यरत हैं। पहले अधिकांश मानव दूध बैंक बिन सरकारी संगठनों द्वारा चलाए जाते थे। भारत सरकार ने नवजात मृत्यु दर को कम करने के लिए एक प्रमुख रणनीति के रूप में मानव दूध को प्राथमिकता दी है और इसके लिए राज्य स्तर पर मानव दूध बैंकिंग के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जा रही है।भारत में हर साल २७ मिलियन बच्चे पैदा होते हैं, जिनमें से ३.५ मिलियन समय से पहले जन्म लेते हैं और ७.५ मिलियन कम वजन के होते हैं।आज भारत में शिशु मृत्यु दर प्रति १००० जन्म पर ३० से अधिक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सिफारिश है कि नवजात शिशुओं को पहले छह महीनों तक केवल स्तनपान कराया जाना चाहिए, फिर माताओं को दो साल या उससे अधिक समय तक पौष्टिक आहार लेकर पर स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में छह महीने से कम उम्र के ४०% से कम शिशुओं को स्तनपान कराया जाता है।माँ के दूध में हजारों अद्वितीय बायोएक्टिव तत्व होते हैं जो संक्रमण और सूजन से बचाते हैं और प्रतिरक्षा, परिपक्वता, अंग विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।सभी माताओं को अपने शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। जब एक माँ, किसी कारण से, अपने शिशु को स्तनपान कराने में असमर्थ होती है, तो अगला सबसे अच्छा विकल्प पाश्चुरीकृत डोनर ह्यूमन मिल्क (पीडीएचएम) का उपयोग करना है। भारत में कम वजन वाले बच्चों की संख्या सबसे अधिक है।हमारे देश के विभिन्न अस्पतालों कम वजन वाले बच्चों की औसतन लगभग २०% है।इसलिए सरकार,स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नागरिक समाज को हजारों कम वजन वाले और समय से पहले जन्मे बच्चों के लिए मानव दूध बैंकिंग की भावना को बढ़ावा देने के लिए हाथ मिलाना चाहिए।घी वॉल स्ट्रीट जनरल अमेरिकन न्यूज डेली के साथ एक इंटरव्यू में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी ने कहा कि दुनिया में मध्यमवर्ग स्वास्थ्य की तुलना में सुंदरता के बारे में अधिक जागरूक है।
"ह्यूमन मिल्क बैंक" उन बच्चों के लिए एक वरदान है जिनकी माताएं अपने बच्चों को स्तनपान कराने में असमर्थ हैं और साथ ही उन बच्चों के लिए जो स्वास्थ्य कारणों से सीधे स्तन का दूध प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं।आज राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत देश के गुजरात में ४ शहरों सूरत,वडोदरा,वलसाड और गांधीनगर में ह्यूमन मिल्क बैंक कार्यरत हैं। राज्य में कार्यरत "ह्यूमन मिल्क बैंक" को अब तक १५,८२० माताओंने अमृत रूपी दूध दान किया है, जिससे लगभग १२,४०३ शिशुओं को नवजीवन मिला है।गुजरात में हर साल लगभग १३ लाख बच्चे पैदा होते हैं, जिनमें से लगभग १.३ लाख बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं और १८.५% बच्चे कम वजन के होते हैं, इसलिए राज्यभर में मानव दूध बैंकों की संख्या बढ़ाना उनके लिए वरदान साबित हो सकता है।जानकारों के मुताबिक मानव दूध बैंक चलाना काफी मुश्किल है।इसके लिए एक विशेषज्ञ की आवश्यकता है जो दूध दाताओं को ला सके।इसके अलावा दान किए गए दूध को माइनस २० डिग्री तापमान पर संग्रहित करना होता है। मानव दूध बैंक के लिए विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा सरकारी अस्पतालों को लगभग ७५ लाख रुपये का अनुदान भी आवंटित किया जाता है, लेकिन योजना और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण यह अनुदान वापिस हो रहा है।
आज देश में अनगिनत माताएं पौष्टिक भोजन की कमी और अन्य सामाजिक,आर्थिक परिस्थितियों तथा प्रसव के दौरान या जन्म के बाद अन्य बीमारियों के कारण मर रही हैं,तब नवजात शिशु को माँ के दूध की अत्यधिक आवश्यकता होती है तब तंदुरस्त माताओ द्वारा किये गए दान से नवजात की जान बचाई जा सकती है,इसलिए आज ब्लड बैंक जितनी आवश्यकता "ह्यूमन मिल्क बैंक" की है।इसलिए आज विभिन्न सामाजिक संगठनों, धार्मिक संगठनों, बिन-सरकारी संगठन,एसोसिएशन,लायंस क्लब,रोटरी क्लब और अन्य संगठनों को ब्लड बैंक की तरह मानव दूध बैंक के लिए प्रयास करने चाहिए।माँ के दूध में संस्कार और संस्कृति समाहित होती है।आज देश में शिवाजी,महाराणा प्रताप, सरदार वल्लभभाई पटेल,चन्द्रशेखर आज़ाद,वीर भगतसिंह इत्यादि जैसे अनगिनत उदाहरण हैं जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी, तब हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि तुमने "माँ के दूध की लाज" रखी और देश के गद्दारों के लिए कहा जाता है कि तुमने माँ के दूध को शर्मीला कर दिया।भारत में मानव दूध बैंकिंग अपने प्रारंभिक चरण में है।जागरूकता की कमी,नेतृत्व की कमी,बुनियादी ढांचे और रखरखाव की लागत,कम शिशु सेटअप इसके प्रमुख कारण हैं। डॉ.अरमाडा फर्नांडीस द्वारा "स्नेहा" नाम से एशिया में पहला ह्यूमन मिल्क बैंक स्थापित किया गया जिसकी शुरुआत २७ नवंबर १९८९ को धारावी,मुंबई में हुई थी,लेकिन नवजात गहन देखभाल इकाइयों की वृद्धि की तुलना में मानव दूध बैंकों की वृद्धि बहुत धीमी रही है।मानव दूध बैंकिंग में रुचि कम होने का एक मुख्य कारण उद्योग द्वारा फार्मूला दूध को बढ़ावा देना है।
इंफ्रास्ट्रक्चर :-
मानव दूध बैंक के संचालन का मार्गदर्शन करने के लिए सलाहकारों की एक पैनल होनी चाहिए,जिसमें बाल चिकित्सा,नवजात विज्ञान,सूक्ष्म जीव विज्ञान, पोषण,सार्वजनिक स्वास्थ्य और खाद्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं।इसके अलावा ह्यूमन मिल्क बैंक के सुचारू प्रशासन और उचित प्रबंधन के लिए निदेशक जैसी विभिन्न नियुक्तियां जो सेवाओं की उचित योजना,कार्यान्वयन और मूल्यांकन कर सके।एक मिल्क बैंक अधिकारी आमतौर पर एक डॉक्टर जो बैंक के दैनिक प्रबंधन और प्रशिक्षण कर सके,एक नर्स जो स्तनपान प्रबंधन पर माताओं को परामर्श दे सके, मिल्क बैंक तकनीशियन जो स्तन के दूध के पाश्चुरीकरण और माइक्रो बायोलॉजीकल सर्वेलंस के लिए हो सके,कंटेनरों की साफ-सफाई एव इकट्ठा करना, कीटाणुरहित करना और उनके रखरखाव के लिए एक मिल्क बैंक अटेंडेंट,विशेषज्ञ स्टाफ सदस्यों जैसे रिकॉर्ड रखने और जनसंपर्क के लिए रिसेप्शनिस्ट और सूक्ष्मजीवविज्ञानी परीक्षण और संक्रमण नियंत्रण नीतियों के लिए सूक्ष्म जीवविज्ञानी की मदद से एक मानव दूध बैंक अच्छी तरह और कुशलता से कार्य कर सकता है।
ह्यूमन मिल्क दाता :-
दाता संख्या स्वस्थ स्तनपान करानेवाली माताओं द्वारा बढ़ाई जा सकती है,जो अपने बच्चे की पोषण संबंधी आवश्यकताओं से समझौता किए बिना अन्य शिशुओं के लिए अपना अतिरिक्त स्तन दूध दान करने को तैयार हो। दानदाताओं की संख्या अच्छे शिशु क्लीनिकों में जानेवाली माताओं के साथ-साथ उन माताओं द्वारा भी बढ़ाई जा सकती है जिन्होंने अपने बच्चों को खो दिया है लेकिन वे अपना दूध दान करने की इच्छुक हो।
श्री मगनभाई पटेलने अपने बचपन की यादों को याद करते हुए कहा कि हमने हमारा बचपन सौराष्ट्र के राजकोट जिले का धोराजी तालुका का सुपेड़ी गांव में बिताया जो देश का एकमात्र सुखी एव समृद्ध गांव था,उस समय हमारे गाँव में किसी नवजात शिशु की मां की किसी कारण से मृत्यु हो जाती तब उस शिशु को दूसरी स्वस्थ मां के स्तनपान से बचाया जाता था और जिन माँताए प्रसव के बाद किसी प्रकार की स्वास्थ्य की खामी के कारण अपने शिशु को स्तनपान कराने में असमर्थ होती थी तब दूसरी माँ के द्वारा उस शिशु को स्तनपान कराके माँ और बेटे दोनों की संभाल रखने जैसी सुंदर व्यवस्था हमारे पूर्वजों ने उस समय की थी और कई नवजात शिशुओं को नया जीवन मिलता था। यदि देश के विभिन्न बिन-सरकारी संगठन,सामाजिक संगठन,सामाजिक क्लब और विभिन्न औद्योगिक संगठन "ह्यूमन मिल्क बैंक" कार्यक्रम,केम्प आयोजित कर के इस विषय के लिए कार्य करेंगे तो निश्चित ही परिणामुख कार्य हो सकेगा, क्योंकि ह्यूमन मिल्क दान भी रक्तदान जितना ही मूल्यवान है।