Wayanad Landslide: नहीं खत्म हो रहा लाशों के मिलने का सिलसिला, अब तक 308 की मौत, लैंडस्लाइड से हुई हर तरफ तबाही
केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड आए हुए तीन दिन बीत चुके है। तीन दिन बीतने के बाद भी मलबे में से लाशों के मिलने का सिलसिला लगातार जारी है। लैंडस्लाइड से हुए हादसे में अब तक कुल 308 लोगों की मौत हो गई है। मगर रेस्क्यू में जुटी टीम को अब तक सिर्फ 195 शव ही मिले है। अन्य लोगों की मौत की पुष्टि उनके शरीर के अंगों के मिलने से हुई है। गौरतलब है कि रेस्क्यू के लिए सेना, नेवी और एयरफोर्स की 40 टीमें जुटी हुई है। बचावकर्मियों की टीम में सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) , डीएसजी, तटरक्षक बल, नौसेना और एमईजी के कर्मियों के साथ-साथ तीन स्थानीय लोग और वन विभाग का कर्मचारी शामिल होगा। इन टीमों को छह अलग अलग क्षेत्रों में बांटा गया है ताकि रेस्क्यू ऑपरेशन जल्दी और प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सके। इस रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए पहला क्षेत्र अट्टामाला और आरणमाला, दूसरा क्षेत्र मुंडकई, तीसरा क्षेत्र पुंजरीमट्टम, चौथा क्षेत्र वेल्लरमाला विलेज रोड, पांचवां क्षेत्र जीवीएचएसएस वेल्लरमाला और छठा इलाका नदी का बहाव क्षेत्र का है। रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बनाए गए 190 फुट लंबे ‘बेली ब्रिज’ का निर्माण पूरा होने से
केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड आए हुए तीन दिन बीत चुके है। तीन दिन बीतने के बाद भी मलबे में से लाशों के मिलने का सिलसिला लगातार जारी है। लैंडस्लाइड से हुए हादसे में अब तक कुल 308 लोगों की मौत हो गई है। मगर रेस्क्यू में जुटी टीम को अब तक सिर्फ 195 शव ही मिले है। अन्य लोगों की मौत की पुष्टि उनके शरीर के अंगों के मिलने से हुई है।
गौरतलब है कि रेस्क्यू के लिए सेना, नेवी और एयरफोर्स की 40 टीमें जुटी हुई है। बचावकर्मियों की टीम में सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) , डीएसजी, तटरक्षक बल, नौसेना और एमईजी के कर्मियों के साथ-साथ तीन स्थानीय लोग और वन विभाग का कर्मचारी शामिल होगा। इन टीमों को छह अलग अलग क्षेत्रों में बांटा गया है ताकि रेस्क्यू ऑपरेशन जल्दी और प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सके। इस रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए पहला क्षेत्र अट्टामाला और आरणमाला, दूसरा क्षेत्र मुंडकई, तीसरा क्षेत्र पुंजरीमट्टम, चौथा क्षेत्र वेल्लरमाला विलेज रोड, पांचवां क्षेत्र जीवीएचएसएस वेल्लरमाला और छठा इलाका नदी का बहाव क्षेत्र का है।
रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बनाए गए 190 फुट लंबे ‘बेली ब्रिज’ का निर्माण पूरा होने से बचाव अभियान में तेजी आई है। इस पुल के रास्ते उत्खनन मशीनों सहित भारी मशीनें और एम्बुलेंस मुंडक्कई और चूरलमाला तक पहुंच पाएंगी। अधिकारियों के अनुसार इसके अलावा चलियार नदी में भी पीड़ितों की तलाश की जाएगी। उन्होंने बताया कि चालियार के 40 किलोमीटर क्षेत्र में स्थित आठ पुलिस थाने के पुलिसकर्मी और स्थानीय तैराक बलों के साथ मिलकर उन शवों की खोज करेंगे, जो संभवतः बहकर नीचें चले गए हैं या नदी के किनारे फंसे हुए हैं।
बचाव योजना के अनुसार, तटरक्षक बल, नौसेना और वन विभाग के कर्मी संयुक्त रूप से नदी के किनारों और उन क्षेत्रों पर तालाश अभियान संचालित करेंगे जहां शव फंसे होने की आशंका है। राजस्व मंत्री के. राजन ने एक दिन पहले कहा था कि मलबे में दबे शवों का पता लगाने के लिए दिल्ली से ड्रोन आधारित रडार शनिवार को वायनाड लाया जाएगा।