Shaurya Path: Gaza Peace Plan, Arab countries and Isreal और Russia-Ukraine war पर चर्चा

प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम शौर्यपथ में ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी से हमने रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर सवाल पूछा। साथ ही साथ इंटरनेशनल पीस कॉन्फ्रेंस के बारे में भी जानना चाहा। इसके अलावा हमने इजराइल और हमास के बीच लाए गए शांति प्रस्ताव पर भी लंबी चर्चा की। हमने इजरायल और हमास युद्ध में अरब देशों की भूमिका के बारे में भी जानना चाहा। सभी मुद्दों पर डीएस त्रिपाठी ने अपनी बात रखी है। 1 रूस और यूक्रेन के युद्ध को लेकर एक इंटरनेशनल पीस कॉन्फ्रेंस स्विट्जरलैंड में होने जा रही है जिसमें 90 देश हिस्सा ले रहे हैं। रूस को इसमें नहीं बुलाया गया है और उसमें अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन भी हिस्सा नहीं ले रहे हैं। क्या इससे युद्ध विराम हो सकता है? - ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि यह पीस प्लान नया नहीं है। ढाई साल से ज्यादा समय से इसे तैयार किया जा रहा है। पश्चिम के कई देश लगातार इस पर काम कर रहे हैं। अच्छी बात यह है कि स्विट्जरलैंड इसमें अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। जो देश इसमें शामिल हैं, यह ज्यादातर पश्चिमी और यूरोप के देश हैं। ऐसे में इस प्रस्ताव में क्या कुछ हो सकता है, इसका अंदाजा हम लगा सकते

Shaurya Path: Gaza Peace Plan, Arab countries and Isreal और Russia-Ukraine war पर चर्चा
प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम शौर्यपथ में ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी से हमने रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर सवाल पूछा। साथ ही साथ इंटरनेशनल पीस कॉन्फ्रेंस के बारे में भी जानना चाहा। इसके अलावा हमने इजराइल और हमास के बीच लाए गए शांति प्रस्ताव पर भी लंबी चर्चा की। हमने इजरायल और हमास युद्ध में अरब देशों की भूमिका के बारे में भी जानना चाहा। सभी मुद्दों पर डीएस त्रिपाठी ने अपनी बात रखी है। 

1 रूस और यूक्रेन के युद्ध को लेकर एक इंटरनेशनल पीस कॉन्फ्रेंस स्विट्जरलैंड में होने जा रही है जिसमें 90 देश हिस्सा ले रहे हैं। रूस को इसमें नहीं बुलाया गया है और उसमें अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन भी हिस्सा नहीं ले रहे हैं। क्या इससे युद्ध विराम हो सकता है? 


- ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि यह पीस प्लान नया नहीं है। ढाई साल से ज्यादा समय से इसे तैयार किया जा रहा है। पश्चिम के कई देश लगातार इस पर काम कर रहे हैं। अच्छी बात यह है कि स्विट्जरलैंड इसमें अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। जो देश इसमें शामिल हैं, यह ज्यादातर पश्चिमी और यूरोप के देश हैं। ऐसे में इस प्रस्ताव में क्या कुछ हो सकता है, इसका अंदाजा हम लगा सकते हैं और शायद उनके प्रस्ताव रूस को पसंद भी नहीं आएंगे। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि पहले इस बात की संभावना थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन इसमें शामिल होंगे। लेकिन उनके शामिल नहीं होने की खबरों से इस बैठक के फीका पड़ने की आशंका है। रूस ऑलरेडी इसमें नहीं जा रहा है। फिलहाल अमेरिका पूरा फोकस इसराइल पर रखा हुआ है। वहीं रूस अपने शर्तों पर शांति चाहता है। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि यह पश्चिमी देशों की ओर से एकजुट दिखाने की कोशिश है। साथ ही उनकी ओर से रूस पर दबाव बनाने की भी कोशिश की जाएगी। हालांकि, रूस पर इसका कोई फर्क पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। रूस का यूक्रेन के खिलाफ ऑपरेशन लगातार जारी है और उसे लगातार आगे बढ़ रहा है। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि सबसे पहले इन देशों को चाहिए की बातचीत का माहौल बने। रूस और यूक्रेन के नेता आमने-सामने बैठे। तभी इस शांति प्रस्ताव पर काम आगे बढ़ सकेगा। 


2 इधर यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल ने अमेरिका द्वारा इजराइल और हमास के बीच लाए गए शांति प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हमास ने भी इस पर विचार करने के लिए कहा है। इसे कैसे देखते हैं आप? 

- इस सवाल के जवाब में ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि यूएनएससी ने इस प्रस्ताव को पास कर दिया है। 15 में से 14 देश इसके समर्थन में खड़े रहे। हालांकि, रूस अनुपस्थित रहा। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि इससे पहले कई प्रस्ताव आए थे। लेकिन कोई पास नहीं हो सका था। यह पास हो गया। अपने आप में बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि शांति प्रस्ताव की सबसे ज्यादा जरूरत है क्योंकि गाजा पट्टी में लगातार मानवीय त्रासदी बढ़ती जा रही है। इस शांति प्रस्ताव को लेकर हमास ने पहले पॉजिटिव साइन दिए। साथ ही साथ उसने कुछ शर्त भी रख दिए हैं। हमास फिलहाल सारे बंधकों को छोड़ने को तैयार नहीं है। हमास ग़ाज़ा से इसराइल को पूरी तरीके से हटाने की बात कर रहा है। हमास परमानेंट सीजफायर चाहता है। ऐसे में हमास की मांगों पर बात कितनी बन पाती है, यह आने वाले दिनों में ही पता चलेगा। वहीं, इजरायल के लिए भी युद्ध रोकना आसान नहीं है। उसके राइट विंग पूरी तरीके से हमास का खात्मा चाहते हैं। नेतन्याहू फिलहाल पूरे घटनाक्रम पर चुप हैं।

3 अरब इजरायल और हमास युद्ध से संबंधित एक और प्रश्न। क्या अब समय नहीं आ गया है कि मध्य पूर्व में शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए अरब देश आगे आएं और मिलकर एक शांति प्रस्ताव तैयार करें जो सिर्फ इसराइल और हमास ही नहीं बल्कि पूरे मध्य पूर्व में लंबे समय तक शांति का आधार बने।

 
- इस सवाल के जवाब में ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि अरब देशों को स्वार्थ पूर्ण रवैया से बाहर निकलकर वैश्विक पटल पर एकजुटता का संदेश देना होगा। इसराइल हमास युद्ध से सबसे ज्यादा उन्हें नुकसान हो रहा है। वह शांति में हम भूमिका निभा सकते थे। लेकिन वह दूसरों के सहारे ही आगे बढ़ना चाहते हैं। वह सामने नहीं आना चाहते। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि इसके कई कारण हो सकते हैं। लेकिन इससे अरब देशों का कोई फायदा नहीं होने वाला है। अरब देशों को इस मामले में एकजुट होना होगा। अरब देश अमेरिका की इशारों पर आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन क्या पता आने वाले दिनों में उनके लिए ही चुनौतियां बढ़ जाए। ऐसे में अरब देशों को मिल बैठकर शांति प्रक्रिया की कोशिश करनी चाहिए। अरब देश आर्थिक रूप से संपूर्ण है। ऐसे में उन्हें आसपास के देशों में जो अशांति है, उसके लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है। अरब देशों को इसमें अहम भूमिका निभानी होगी। 

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