Priyanka Gandhi ने जम्मू की रैली में LG को बताया आउटसाइडर, कहा- बाहरी लोगों के लिए नीतियां बना रहे हैं
जम्मू के बिश्नाह में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि आपको शायद पता नहीं होगा कि मेरी दादी इंदिरा जी की हत्या से 4-5 दिन पहले हम घर पर बैठे थे, मैं 12 साल की थी, राहुल 14 साल का था। अचानक दादी ने कहा, मुझे पतझड़ में गिरने वाले चिनार के पेड़ देखने हैं। वो हमें कश्मीर लेकर आईं। पहली बार वो मुझे खीर भवानी के मंदिर ले गईं...फिर हम दिल्ली आ गए और 3-4 दिन बाद उनकी हत्या कर दी गई और वो शहीद हो गईं...और तब से मैं जब भी श्रीनगर जाती हूं, खीर भवानी जरूर जाती हूं और अपनी दादी को याद करती हूं। इसे भी पढ़ें: लंदन में रखी गई Citadel: Honey Bunny और Citadel: Diana की स्पेशल स्क्रीनिंग, Priyanka Chopra ने की अटेंडप्रियंका गांधी ने कहा कि दुनिया की फितरत है कि जब किसी के पास सब कुछ होता है, तो जिसकी नीयत ठीक नहीं होती, वो उसे छीनने की कोशिश करता है। बीजेपी नेताओं ने जम्मू-कश्मीर को अपनी राजनीतिक शतरंज का मोहरा बना लिया है। नीतियां यहां के लिए नहीं बनती हैं, जो नीतियां आपके लिए बनती हैं, वो राजनीति करने के लिए बनती हैं।इसे भी पढ़ें: PM Modi के दलाल और दामाद बोले
जम्मू के बिश्नाह में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि आपको शायद पता नहीं होगा कि मेरी दादी इंदिरा जी की हत्या से 4-5 दिन पहले हम घर पर बैठे थे, मैं 12 साल की थी, राहुल 14 साल का था। अचानक दादी ने कहा, मुझे पतझड़ में गिरने वाले चिनार के पेड़ देखने हैं। वो हमें कश्मीर लेकर आईं। पहली बार वो मुझे खीर भवानी के मंदिर ले गईं...फिर हम दिल्ली आ गए और 3-4 दिन बाद उनकी हत्या कर दी गई और वो शहीद हो गईं...और तब से मैं जब भी श्रीनगर जाती हूं, खीर भवानी जरूर जाती हूं और अपनी दादी को याद करती हूं।
प्रियंका गांधी ने कहा कि दुनिया की फितरत है कि जब किसी के पास सब कुछ होता है, तो जिसकी नीयत ठीक नहीं होती, वो उसे छीनने की कोशिश करता है। बीजेपी नेताओं ने जम्मू-कश्मीर को अपनी राजनीतिक शतरंज का मोहरा बना लिया है। नीतियां यहां के लिए नहीं बनती हैं, जो नीतियां आपके लिए बनती हैं, वो राजनीति करने के लिए बनती हैं।
उन्होंने कहा कि यूटी में टेंडर बाहरी लोगों को दिए जा रहे हैं। गांधी ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर से निकाली गई रेत बाहर भेजी जाती है और जब यूटी के लोग इसे खरीदते हैं, तो यह महंगी कीमतों पर आती है। आपके उपराज्यपाल बाहरी व्यक्ति हैं, जो भी नीतियां बनाई जा रही हैं, वे बाहरी लोगों के लिए है। बाहरी लोगों को ठेके दिए जा रहे हैं। आपकी रेत बाहर भेजी जा रही है, और जब आपको इसे खरीदना होता है, तो आपको यह अधिक कीमत पर मिलती है।