Nagaland Ambush | नगालैंड में घात लगाकर हमला: कर्मियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी न देने पर केंद्र से जवाब मांगा गया

सुप्रीम कोर्ट ने नगालैंड सरकार की उस याचिका पर केंद्र और रक्षा मंत्रालय से जवाब मांगा है, जिसमें 30 सैन्यकर्मियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी न देने को चुनौती दी गई है। इन सैन्यकर्मियों पर 2021 में राज्य में उग्रवादियों पर घात लगाकर हमला करने के असफल अभियान में 13 नागरिकों की हत्या करने का आरोप है।मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सोमवार को राज्य सरकार की दलीलों पर गौर किया और रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी किए। पीठ ने अब नगालैंड की याचिका पर 3 सितंबर को सुनवाई तय की है। पिछले साल अप्रैल में केंद्र सरकार ने राज्य के मोन जिले के ओटिंग में घात लगाकर किए गए असफल हमले में कथित रूप से शामिल सैन्यकर्मियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। इसे भी पढ़ें: Watch Video | इटली में लूटपाट के बाद Divyanka Tripathi और Vivek Dahiya लौटे, भारतीय एंबेसी को किया धन्यवादराज्य सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर की है। इस अनुच्छेद के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की जा सकती है।राज

Nagaland Ambush | नगालैंड में घात लगाकर हमला: कर्मियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी न देने पर केंद्र से जवाब मांगा गया
सुप्रीम कोर्ट ने नगालैंड सरकार की उस याचिका पर केंद्र और रक्षा मंत्रालय से जवाब मांगा है, जिसमें 30 सैन्यकर्मियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी न देने को चुनौती दी गई है। इन सैन्यकर्मियों पर 2021 में राज्य में उग्रवादियों पर घात लगाकर हमला करने के असफल अभियान में 13 नागरिकों की हत्या करने का आरोप है।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सोमवार को राज्य सरकार की दलीलों पर गौर किया और रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी किए। पीठ ने अब नगालैंड की याचिका पर 3 सितंबर को सुनवाई तय की है। पिछले साल अप्रैल में केंद्र सरकार ने राज्य के मोन जिले के ओटिंग में घात लगाकर किए गए असफल हमले में कथित रूप से शामिल सैन्यकर्मियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।
 

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राज्य सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर की है। इस अनुच्छेद के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की जा सकती है।

राज्य सरकार ने एफआईआर दर्ज कर दावा किया था कि उसके पास मेजर समेत सेना के जवानों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं, लेकिन फिर भी केंद्र ने मनमाने तरीके से उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया।

केंद्र सरकार में सक्षम प्राधिकारी ने बिना सोचे-समझे और जांच के दौरान राज्य पुलिस की विशेष जांच टीम द्वारा एकत्र की गई पूरी सामग्री को देखे बिना ही उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया।
 

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जुलाई 2022 में, शीर्ष अदालत ने आरोपियों की पत्नियों की याचिकाओं पर विशेष बलों से संबंधित सेना के जवानों के खिलाफ मुकदमा चलाने पर रोक लगा दी थी, जिन्होंने दावा किया था कि उनके पतियों पर राज्य से अभियोजन के लिए अनिवार्य मंजूरी प्राप्त किए बिना मुकदमा चलाया जा रहा है।

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