MUDA Case: कर्नाटक हाई कोर्ट सिद्धारमैया को लगा बड़ा झटका, गवर्नर के खिलाफ दायर याचिका खारिज

कर्नाटक उच्च न्यायालय से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बड़ा झटका लगा है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सिद्धारमैया द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया है। पूरा ममला MUDA लैंड स्कैम से जुडा हुआ है। सिद्धारमैया द्वारा दायर एक याचिका में साइट आवंटन मामले में उनके खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल की मंजूरी को चुनौती दी गई थी। यह मामला सिद्धारमैया के पिछले कार्यकाल के दौरान अनियमितताओं के आरोपों से संबंधित है, जहां उन पर मानदंडों का उल्लंघन करके प्रमुख भूमि के आवंटन को सुविधाजनक बनाने का आरोप लगाया गया था।  इसे भी पढ़ें: तिरुपति लड्डू को अपवित्र करने के मामले को तार्किक परिणति तक पहुंचाया जाएगा: Prahlad Joshiमुख्यमंत्री ने एक प्रमुख इलाके में मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा अपनी पत्नी को 14 साइटों के आवंटन में कथित अनियमितताओं में उनके खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा दी गई मंजूरी को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ तौ पर कहा कि याचिका में बताए गए तथ्यों की जांच करने की जरूरत है।  उच्च न्यायालय ने 12 सितंबर को मामले में अपनी सुनवाई पूरी कर ली थी और अपना आदेश सु

MUDA Case: कर्नाटक हाई कोर्ट सिद्धारमैया को लगा बड़ा झटका, गवर्नर के खिलाफ दायर याचिका खारिज
कर्नाटक उच्च न्यायालय से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बड़ा झटका लगा है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सिद्धारमैया द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया है। पूरा ममला MUDA लैंड स्कैम से जुडा हुआ है। सिद्धारमैया द्वारा दायर एक याचिका में साइट आवंटन मामले में उनके खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल की मंजूरी को चुनौती दी गई थी। यह मामला सिद्धारमैया के पिछले कार्यकाल के दौरान अनियमितताओं के आरोपों से संबंधित है, जहां उन पर मानदंडों का उल्लंघन करके प्रमुख भूमि के आवंटन को सुविधाजनक बनाने का आरोप लगाया गया था। 
 

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मुख्यमंत्री ने एक प्रमुख इलाके में मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा अपनी पत्नी को 14 साइटों के आवंटन में कथित अनियमितताओं में उनके खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा दी गई मंजूरी को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ तौ पर कहा कि याचिका में बताए गए तथ्यों की जांच करने की जरूरत है।  उच्च न्यायालय ने 12 सितंबर को मामले में अपनी सुनवाई पूरी कर ली थी और अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की एकल पीठ इस मामले में मंगलवार कोअपना आदेश सुनाएगी। 
 

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राज्यपाल ने प्रदीप कुमार एस.पी., टी.जे. अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा की याचिकाओं में उल्लिखित कथित अपराधों के लिए 16 अगस्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी। सिद्धरमैया ने 19 अगस्त को राज्यपाल के आदेश की वैधता को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। राज्यपाल के आदेश को रद्द करने का अनुरोध करते हुए याचिका में मुख्यमंत्री ने कहा कि मंजूरी आदेश बिना सोचे-समझे जारी किया गया और यह वैधानिक नियमों का उल्लंघन है।

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