Kathua Attack: अमेरिकी सेना का M4 कार्बाइन, चाइनिज गोलियां और ग्रेनेड, आतंकियों का दोस्त कौन?
नायब सूबेदार आनंद सिंह, हवलदार कमल सिंह, एनके विनोद सिंह, आरएफ़एन अनुज नेगी और आरएफ़एन आदर्श नेगी ये 22 गढ़वाल राइफल के वो पांच जवान हैं जिन्होंने जम्मू कश्मीर के कठुआ में आठ जुलाई को हुए आतंकी हमले में शहादत दी। ये हमला तब हुआ जब सेना का एक ट्रक मछेरी से गुजर रहा था। भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के एक समूह ने घात लगाकर हमला कर दिया। ट्रक पर ग्रेंनेड भी फेंके गए। फिर आतंकी मौके से फरार हो गए। बाद में पांच जवानों के शहादत की खबर आई। कठुआ में आतंकियों ने भारतीय जवानों पर जो गोलीबारी की उसकी जांच से सामने आया है कि ये हमला एम4 कार्बाइन से किया गया। इसके साथ ही अल्ट्रा सेट की भी बरामदगी हो चुकी है। इस डिवाइस की वजह से आतंकियों को ट्रेस करने में दिक्कत आती है। ये चीन की तरफ से पाकिस्तान को मिलते हैं। इसे भी पढ़ें: Kathua Terrorist Attack: कठुआ में पांच सैन्यकर्मियों की हत्या का बदला लेंगे, बुरी ताकतों को सीधी चेतावनीएम4 कार्बाइन एम4 कार्बाइन 1980 के दशक के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में विकसित एक हल्की, गैस-संचालित, पत्रिका-संचालित कार्बाइन है। यह अमेरिकी सशस्त्र बलों का प्राथमिक पैदल

नायब सूबेदार आनंद सिंह, हवलदार कमल सिंह, एनके विनोद सिंह, आरएफ़एन अनुज नेगी और आरएफ़एन आदर्श नेगी ये 22 गढ़वाल राइफल के वो पांच जवान हैं जिन्होंने जम्मू कश्मीर के कठुआ में आठ जुलाई को हुए आतंकी हमले में शहादत दी। ये हमला तब हुआ जब सेना का एक ट्रक मछेरी से गुजर रहा था। भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के एक समूह ने घात लगाकर हमला कर दिया। ट्रक पर ग्रेंनेड भी फेंके गए। फिर आतंकी मौके से फरार हो गए। बाद में पांच जवानों के शहादत की खबर आई। कठुआ में आतंकियों ने भारतीय जवानों पर जो गोलीबारी की उसकी जांच से सामने आया है कि ये हमला एम4 कार्बाइन से किया गया। इसके साथ ही अल्ट्रा सेट की भी बरामदगी हो चुकी है। इस डिवाइस की वजह से आतंकियों को ट्रेस करने में दिक्कत आती है। ये चीन की तरफ से पाकिस्तान को मिलते हैं।
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एम4 कार्बाइन
एम4 कार्बाइन 1980 के दशक के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में विकसित एक हल्की, गैस-संचालित, पत्रिका-संचालित कार्बाइन है। यह अमेरिकी सशस्त्र बलों का प्राथमिक पैदल सेना हथियार है और इसे 80 से अधिक अन्य देशों द्वारा भी अपनाया गया है। एम4 को नज़दीकी लड़ाई के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह बहुत ही कुशल है। यह विभिन्न प्रकार की युद्ध स्थितियों के लिए सटीक, विश्वसनीय और उपयुक्त भी है, जो इसे सैन्य और कानून प्रवर्तन कर्मियों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बनाता है।
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अपनी साजिशों से बाज नहीं आ रहा है पाकिस्तान
यह पहली बार नहीं है जब कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा उच्च शक्ति वाले हथियारों का इस्तेमाल किया गया है। 2016 के बाद से, सुरक्षा बलों ने क्षेत्र में मारे गए जैश-ए-मोहम्मद (JeM) आतंकवादियों के पास से स्टील की गोलियों के साथ चार M4 राइफलें बरामद की हैं। बता दें कि पाकिस्तान की तरफ से आतंकियों को हाइटेक डिवाइस मुहैया कराया जा रहा है। इसमें अमेरिकी एम4 कार्बाइन, नाइट विजन डिवाइस, थर्मल इमेजर और अल्ट्रा सेट जैसी डिवाइस है।
चीन निर्मित अल्ट्रा सेट बरामद
पिछले कुछ हमलों में देखा गया है कि आतंकी सुरक्षाबलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए स्टील की गोलियों का इस्तेमाल करते हैं। ये गोलियां बुलेटप्रूफ वाहनों को उड़ाने में सक्षम होती हैं। पीतल की गोलियों की तुलना में ये गोलियां सस्ती और घातक होती हैं। इन्हें पाकिस्तान चीन से लेता है। मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों के पास से जो अल्ट्रा सेट बरामद हुए हैं, वो चीन निर्मित हैं. ये हाइब्रिड वीएचएफ/यूएचएफ नेट रेडियो हैं।
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