Jammu में कार्यसमिति की बैठक में शामिल हुए जेपी नड्डा, कहा- श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर मुझे यहां आने का सौभाग्य मिला
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भाजपा राज्य कार्यसमिति की बैठक में शामिल हुए। जेपी नड्डा ने कहा कि हमारे संस्थापक अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर मुझे यहां आने का सौभाग्य मिला है, मैं उन्हें नमन करता हूं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जम्मू-कश्मीर से विशेष रिश्ता था। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अपने जीवन में कभी रुके नहीं, उन्होंने किसी पद, प्रतिष्ठा के लिए काम नहीं किया, बल्कि उन्होंने अपना जीवन 'भारत माता की जय' के विचार को मजबूत करने के लिए समर्पित कर दिया।इसे भी पढ़ें: 'जैसे अयोध्या में हराया, वैसे ही गुजरात में भी बीजेपी को हराने जा रहे हैं हम', अहमदाबाद में बोले राहुल गांधीआज श्रद्धेय डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की जयंती के अवसर पर भाजपा मुख्यालय, नई दिल्ली में उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। डॉ.मुखर्जी जी का राष्ट्र की एकता व अखंडता के लिए अप्रतिम समर्पण, भारतीय जनसंघ की स्थापना और उनके प्रखर राष्ट्रवादी विचार युगों तक प्रत्येक भारतवासी को प्रेरणा प्रदान करते रहेंगे।इसे भी पढ़ें: Kirodi lal Meena ने Delhi में BJP President Nadda से की मुलाकात, मगर फिर
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भाजपा राज्य कार्यसमिति की बैठक में शामिल हुए। जेपी नड्डा ने कहा कि हमारे संस्थापक अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर मुझे यहां आने का सौभाग्य मिला है, मैं उन्हें नमन करता हूं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जम्मू-कश्मीर से विशेष रिश्ता था। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अपने जीवन में कभी रुके नहीं, उन्होंने किसी पद, प्रतिष्ठा के लिए काम नहीं किया, बल्कि उन्होंने अपना जीवन 'भारत माता की जय' के विचार को मजबूत करने के लिए समर्पित कर दिया।
आज श्रद्धेय डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की जयंती के अवसर पर भाजपा मुख्यालय, नई दिल्ली में उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। डॉ.मुखर्जी जी का राष्ट्र की एकता व अखंडता के लिए अप्रतिम समर्पण, भारतीय जनसंघ की स्थापना और उनके प्रखर राष्ट्रवादी विचार युगों तक प्रत्येक भारतवासी को प्रेरणा प्रदान करते रहेंगे।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी, भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे। जनसंघ, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का पूर्ववर्ती संगठन था। वह जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल के सदस्य थे लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री (नेहरू) के साथ अपने मतभेदों के कारण उन्होंने पद छोड़ दिया और फिर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के समर्थन से जनसंघ का गठन किया था। जम्मू-कश्मीर में गिरफ्तारी के बाद, 1953 में मुखर्जी की मृत्यु हो गई थी। राज्य के गैर निवासी भारतीय नागरिकों पर लगाई गई पाबंदी के खिलाफ आंदोलन के दौरान उनकी गिरफ्तारी हुई थी। वह राज्य को दिए गए विशेष दर्जे के खिलाफ थे।