हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने गन्नौर सीट से कुलदीप शर्मा पर लगातार चौथी बार भरोसा जताया है। वह इस सीट से वर्ष 2009 और 2014 में जीत दर्ज कर चुके हैं। हालांकि वर्ष 2019 में कांग्रेस का किला ढहाने के लिए भाजपा ने यहां कड़ी घेराबंदी की थी और महिला कार्ड खेलते हुए निर्मल चौधरी को मैदान में उतारा था। तब निर्मल चौधरी ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप शर्मा को हैट्रिक नहीं लगाने दी थी। गन्नौर विधानसभा सीट (2009 से पहले कैलाना) पर वर्ष 2000 से लेकर 2019 तक कांग्रेस का लगातार कब्जा रहा था।
इस सीट से वर्ष 2000 व 2005 में जितेंद्र सिंह मलिक ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी। तो वहीं, वर्ष 2009 व 2014 में कांग्रेस के टिकट पर कुलदीप शर्मा विधायक बने थे। वर्ष 2009 में कुलदीप शर्मा ने इनेलो के कृष्ण गोपाल त्यागी को हराया तो वर्ष 2014 में इनेलो की निर्मल चौधरी को मात देकर विधानसभा पहुंचे थे। हालांकि, जब वर्ष 2019 में वह हैट्रिक लगाने मैदान में उतरे तो उनकी घेराबंदी करने के लिए भाजपा ने वर्ष 2014 में भी उनकी प्रतिद्वंदी रहीं निर्मल चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा था। तब भाजपा निर्मल के नाम पर महिला कार्ड खेलकर जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी। कांग्रेस ने अपने गढ़ पर फिर से काबिज होने के लिए चौथी बार भी कुलदीप शर्मा पर ही दांव लगाया है।
पूर्व विधायक और कांग्रेस के उम्मीदवार कुलदीप शर्मा मूल रूप से गन्नौर के गांव आहुलाना के रहने वाले हैं। सोनीपत शहर में ही उनका बचपन गुजरा है। इनके पिता चिरंजीलाल शर्मा थे। वे भी हरियाणा के कद्दावर नेता रहे हैं। चिरंजीलाल 1962 में सोनीपत के विधायक रहे। 1972 में हरियाणा मंत्रिमंडल में भी उनको जगह दी गई थी। जिसके बाद 1980 से लगातार चार बार करनाल के सांसद रहे। कुलदीप शर्मा ने बीए, एलएलबी कर लंबे समय तक वकालत की। कुलदीप शर्मा करनाल में कांग्रेस के शहरी अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष व प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके बाद वे 2009 में गन्नौर के विधायक बने जिसके बाद उन्हें हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष की भी पदवी मिली। उनके विकास कार्यों को देखते हुए 2014 में उन्हें दोबारा गन्नौर से विधायक चुना गया।