देश की सर्वोच्च अदालत ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर अहम फैसला सुनाया था। फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को अवैध करार देते हुए उस पर रोक लगा दी थी। साथ ही एसबीआई को कहा था कि एसबीआई को अब तक खरीदे गए बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को दी जाए। 12 मार्च की शाम पांच बजे के करीब एसबीआई ने चुनाव आयोग को संबंधित आंकड़ा भेज दिया। इसी बीच ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील आदिश सी अग्रवाल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक लेटर लिखा है। ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश सी अग्रवाल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर आग्रह किया कि वे चुनावी बांड योजना मामले में फैसले का राष्ट्रपति संदर्भ लें और इसे प्रभावी न करें। अग्रवाल ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों को योगदान देने वाले कॉरपोरेट्स के नामों का खुलासा करने से गंभीर असर पड़ सकता है। इसमें प्रेसिडेंसिशियल रेफरेंस का जिक्र कर रोक की मांग की गई है।
बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति ने खुद को किया अलग
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति ने एससीबीए प्रमुख आदीश सी अग्रवाल द्वारा लिखे गए पत्र से खुद को अलग कर लिया, जिसमें चुनावी बांड योजना मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के राष्ट्रपति के संदर्भ की मांग की गई थी। बार एसोसिएशन ने भी पत्र की सामग्री की निंदा की, इसे सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार को खत्म करने और कमजोर करने का प्रयास बताया।
15 मार्च को चुनाव आयोग सार्वजनकि करेगा चुनावी बांड का विवरण
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के एक दिन बाद एसबीआई ने चुनाव आयोग को चुनावी बांड का डेटा सौंपा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने समय बढ़ाने की मांग करने वाली एसबीआई की याचिका को खारिज कर दिया और उसे 12 मार्च को व्यावसायिक घंटों के अंत तक चुनाव आयोग को चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पोल पैनल को 15 मार्च को शाम 5 बजे तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर चुनावी बांड का विवरण प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया है।