पेपर लीक को लेकर सीबीआई की जांच चल रही है। नीट यूजी 2024 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पूरे देशभर से याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाओं में नीट-यूजी 2024 के आयोजन में कथित अनियमितताओं एवं कदाचार की जांच करने, परीक्षा रद्द करने और नये सिरे से परीक्षा आयोजित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। इसके साथ ही देश के कई एक्सपर्ट्स ने नीट परीक्षा को लेकर भी कई सुझाव दिए हैं। जिससे पेपर लीक होने की कोई गुंजाइश न रहे। लाखों छात्र सालों तक कड़ी मेहनत कर परीक्षा की तैयारी करते हैं। ऐसे में पेपर लीक होने से बहुत सारे छात्रों को नुकसान हो जाता है। आइए जानते हैं कि इतनी सुरक्षा के बावजूद कोई पेपर लीक कैसे हो जाता है, क्या है इसका समाधान।
पेपर लीक कहां से होते हैं?
आपने अक्सर सुना होगा कि परीक्षा से पहले पेपर को काफी कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है। बोर्ड परीक्षा तक के पेपर सीसीटीवी और ताले वाले कमरे में जमा किए जाते हैं। परीक्षा केंद्र के आस पास की प्रिंटिंग प्रेस को बंद कर दिया जाता है। लेकिन फिर भी पेपर लीक हो जाते हैं। ज्यादातर पेपर प्रिंटिंग प्रेस से लीक होती है। यहीं पर सबसे ज्यादा लोग पेपर के संपर्क में आते हैं। शक की सुई सबसे पहले यहां काम करने वाले लोगों पर ही घूमती है। बैंक लॉकर में भी थर्ड पार्टी इन्वॉल्मेंट होता है। इसके अलावा परीक्षा केंद्र से भी लीक का संदेह बना रहता है।
पेपर लीक कौन करवा सकता है?
पेपर लीक मामलों में कई लोगों की भूमिकाएं शक के दायरे में होती है. इन्हें संदिग्ध कहा जाता है. जांच शुरू होने पर सबसे पहले इन्हीं से सवाल-जवाब किए जाते हैं. कई राज्यों में पेपर लीक केस की जांच के दौरान इन लोगों की भूमिका को संदिग्ध पाया गया है-
1- जहां पेपर छपा (जो लीक हुआ) था, उस प्रिंटिंग प्रेस के कर्मचारी,
2- बेहतरीन रिजल्ट दिखाकर बिजनेस को बढ़ाने वाले कोचिंग सेंटर,
3- स्टूडेंट्स के संपर्क में रहने वाले एजुकेशन कंसल्टेंट,
4- एडमिशन एजेंट,
5- पेपर लीक माफिया (ये लोग स्टूडेंट्स से प्रति पेपर लाखों रुपये वसूलते हैं),
6- करोड़ों में काली कमाई का लालच रखने वाले आयोग के कर्मचारी,
7- बिना योग्यता और मेहनत नौकरी या एडमिशन हासिल करने की इच्छा रखने वाले परीक्षार्थी
नीट को कैसे किया जा सकता है क्लीन
परीक्षा ऑफलाइन माध्यम से कार्बनलेस ओएमआर शीट के साथ कराए जा सकते हैं। । परीक्षा के बाद छात्रों को उनके साथ ओएमआर शीट की कॉपी दी जा सकती है। ऑनलाइन माध्यम से BITS का पैटर्न अपनाना चाहिए, जिसमें पेपर खत्म होने के बाद सही और गलत उत्तर स्क्रीन पर आ जाता है, इसके बाद छात्रों को एक एसएमएस भी भेजा जाता है। इसके बाद सार्वजनिक रूप से मॉडल आंसर और प्रश्न जारी किए जा सकते हैं। कई एक्सपर्ट्स ने परीक्षा को दो चरणों में आयोजित किए जाने का भी सुझाव दिया है। दो चरणों में परीक्षा कराने से यह फायदा होगा, जो छात्र परीक्षा को लेकर गंभीर नहीं होंगे वे दूसरे पेपर के लिए क्वालीफाई ही नहीं कर पाएंगे। ऐसे दूसरे चरण तक सिर्फ पढ़ने वाले या गंभीर छात्र ही पहुँचेंगे। इसके अलावा नीट की पार्दर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार खुद भी फ्रंट फुट पर आकर जिम्मेदारी ले सकती है। जैसे यूपीएससी की परीक्षा कराई जाती है। एनटीए को किनारे कर जेईई या यूपीएससी की तरह इसे दो या तीन फेज में कराया जा सकता है।