दरभंगा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बिहार के 40 लोकसभा (संसदीय) निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। 2019 लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के अनुसार दरभंगा संसदीय सीट पर कुल मतदाता लगभग 1654811 हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में दरभंगा संसदीय सीट पर मतदाता मतदान 58.35 था। दरभंगा लोकसभा क्षेत्र में इस साल मई में चुनाव होंगे। मतदान की तारीख 13 मई (चरण 4) है और परिणाम 4 जून को आएंगे। लोकसभा चुनाव 2019 में दरभंगा सीट पर भाजपा के गोपाल जी ठाकुर ने 586668 वोट हासिल कर जीत हासिल की। राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी को 318689 वोट मिले।
2014 में दरभंगा सीट पर बीजेपी के कीर्ति आजाद ने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद के मोहम्मद अली अशरफ फातमी को 35043 वोटों से हराया। गौरतलब है कि यह निर्वाचन क्षेत्र यादव, मुस्लिम और ब्राह्मणों के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। दरभंगा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र, जिसे निर्वाचन क्षेत्र संख्या 14 के रूप में पहचाना जाता है, में कुल 14,95,446 मतदाता शामिल हैं, जिनमें 6,97,976 महिलाएं और 7,97,470 पुरुष शामिल हैं। यह किसी विशिष्ट वर्ग के लिए आरक्षित नहीं है। भाजपा ने फिर से गोपाल जी ठाकुर पर भरोसा जताया है। वहीं, राजद ने ललित कुमार यादव को टिकट दिया है।
2008 में मनीगाछी विधानसभा क्षेत्र के विघटन के साथ निर्वाचन क्षेत्र का परिसीमन किया गया, जो दरभंगा ग्रामीण क्षेत्र में विलय हो गया। इस लोकसभा क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्रों में गौरा बौराम, बेनीपुर, अलीनगर, दरभंगा ग्रामीण, दरभंगा और बहादुरपुर शामिल हैं। पिछले चार लोकसभा चुनावों में इस सीट पर राजनीतिक प्रतिनिधित्व में बदलाव देखा गया। 1999 से 2009 के बीच इस सीट पर राजद का कब्जा रहा। इसके बाद, भाजपा के कीर्ति आज़ाद 2009 से 2019 तक सांसद रहे। 2019 में, भाजपा के गोपाल जी ठाकुर विजयी हुए।
जनसांख्यिकी रूप से, दरभंगा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र दरभंगा जिले के कुछ हिस्सों को कवर करता है, जिसकी कुल आबादी 39,37,385 है। मुस्लिम आबादी, 8,81,476 है, जो जिले में अनुसूचित जाति की आबादी से अधिक है। पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि कार्यक्रम के तहत प्रदान की गई सहायता से निर्वाचन क्षेत्र को लाभ मिलता है। 1952 से लोक 1971 के चुनाव तक कांग्रेस के उम्मीदवार इस सीट पर लगातार जीत दर्ज करते रहे। आपातकाल के बाद यह सीट 1977 भारतीय लोक दल के खाते में चली गई।
1999 में इस सीट पर पहली बार भाजपा कीर्ति झा आजाद ने जीता था। अटल बिहारी वाजपेयी खुद उनके प्रचार में आये। 2004 में इस सीट को फिर भाजपा को खोना पड़ा और इस सीट पर फिर से राजद ने कब्जा जमा लिया। इस सीट से सबसे बार सांसद बनने का रिकॉर्ड मो. अली अशरफ फातमी के नाम है जो दो बार जनता दल और दो बार राजद के प्रत्याशी के तौर पर यहां से जीत दर्ज कर चुके हैं।